साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता विषय- जल || Poem on water

 

प्रतियोगिता से संबंधित नियम व शर्तें

रचना विषय  - ' जल '

प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने की प्रक्रिया

♻️ रचना विषय प्रत्येक सोमवार सुबह पत्रिका के App पर प्रकाशित किया जायेगा।

♻️ रचनाकार को अपनी रचनाएँ App में दिए गए प्रतियोगिता विषय के कॉमेंट में लिखना होगा।

♻️ रचनाकार कॉमेंट में रचना पोस्ट करते समय रचना में नीचे अपना नाम जिला व प्रदेश अवश्य लिखें अन्यथा रचना अस्वीकृत होगी।

♻️ रचनाएँ 12-16 पंक्तियों में अपनी रचना पूर्ण करें।

♻️ रचना में हिन्दी भाषा के शब्दों के प्रयोग को प्राथमिकता दी जाएगी अतः हिंदी के शब्द का ही प्रयोग करें।

♻️ रचना के उत्कृष्ट भाव होने पर कुछ अन्य भाषा के सामान्य शब्दों की छूट या उसे हिन्दी भाषा के शब्दों से प्रतिस्थापित किया जा सकता है।

♻️ रचना के उत्कृष्ट होने पर रचना के चयन हेतु उसमें कुछ शब्दों अथवा पंक्तियों के परिवर्तित कर उसे प्रकाशित करने का अधिकार निर्णायक समिति के पास सुरक्षित है |

♻️ यदि कोई रचनाकार हिन्दी से पृथक् भाषा के शब्दों का प्रयोग अधिक करता है तो उसकी रचना को निर्णय से हटा दिया जायेगा तथा प्रयास किया जायेगा कि उसे सुझाव दिया जाए।

♻️ रचनाएँ भावाश्रित होने के साथ ही व्याकरण तथा साहित्य के दोषों से मुक्त हों जिससे उसके चयन की सर्वाधिक संभावना हो।

♻️ साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता के आयोजन का उद्देश्य हिन्दी भाषा के प्रति जागृत करना है अतः प्रतियोगिता में सर्वाधिक ध्यान भाव के साथ हिन्दी शब्दों के सर्वाधिक प्रयोग पर है।

♻️ किसी भी शब्द की पुनरावृत्ति  किसी भी लेखन में त्रुटि मानी जाती है अतः किसी शब्द की पुनरावृत्ति से बचने हुए हिन्दी भाषा के अलग - अलग उपयुक्त शब्दों का प्रयोग करें।

♻️ रचनाएँ प्रत्येक शुक्रवार रात्रि १० बजे तक ही स्वीकार होंगी।

♻️ साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता का परिणाम रविवार को पत्रिका की वेबसाइट पर प्रकाशित कर दिया जायेगा।

♻️ परिणाम प्रकाशित होने के बाद चुने गए रचनाकार को अपना पासपोर्ट साइज़ फोटो पत्रिका के आधिकारिक व्हाट्सएप +91 6392263716 पर भेज देना है।

♻️ पासपोर्ट साइज़ फोटो प्रशस्ति -पत्र पर प्रयोग करने हेतु मंगाया जाता है, यदि चुने गए रचनाकार द्वारा रविवार शाम तक फोटो नहीं भेजा गया तो बिना फोटो के ही प्रशस्ति -पत्र जारी कर दिया जायेगा।

♻️ प्रशस्ति -पत्र पत्रिका के फेसबुक पेज, फेसबुक ग्रुप या इंस्टाग्राम आदि से प्राप्त किया जा सकता है जिसकी लिंक वेबसाइट पर उपलब्ध है ।

♻️ किसी आपातकालीन स्थिति में प्रशस्ति -पत्र को पत्रिका के व्हाट्सएप से भी प्राप्त किया जा सकता है।

♻️ प्रशस्ति -पत्र ई-फॉर्मेट में जारी किया जायेगा तथा जो रचनाकार चाहें इसकी हार्डकॉपी निःशुल्क प्रयागराज से प्राप्त कर सकते हैं।

♻️ प्रशस्ति -पत्र अपने डाक पते पर मंगाने हेतु रचनाकार को कुछ आवश्यक शुल्क देने होंगे, जिससे उनके पते पर इसे भेज दिया जा सके।


♦️ रचना कैसे करें?

1️⃣ रचना करने के लिए सबसे पहले आप हिन्दी काव्य कोश के मोबाइल App पर आयेंगे जहाँ पर प्रत्येक सोमवार को विषय पोस्ट किया जाता है।

2️⃣पत्रिका के App पर दिए गए विषय पोस्ट पर क्लिक कर उसके नीचे दिए गए कॉमेंट बॉक्स में अपनी रचना लिखकर Submit कर देंगे।

3️⃣ रचनाकारों को हिन्दी काव्य कोश के फेसबुक ग्रुप में अपनी रचनाएँ अवश्य भेजनी चाहिए परंतु यह ऐच्छिक है।

4️⃣ रचना कॉमेंट में सबमिट होने के बाद उसे वही रचनाकार edit नहीं किया जाना है।

5️⃣ रचनाकारों को सुझाव दिया जाता है कि वे एक बार कॉमेंट करने से पहले Log in कर लें जिससे नाम के साथ उनका कॉमेंट प्रदर्शित हो।

 किसी प्रकार की समस्या होने पर पत्रिका के व्हाट्सएप नंबर +91 6392263716 पर समस्या साझा करें।

6️⃣ चुनी गई रचना का लिंक प्रत्येक विषय पोस्ट के नीचे जोड़ दिया जायेगा जिसपर क्लिक करके उस विषय की चुनी गई रचनाओं को बाद में पढ़ा जा सकेगा।

7️⃣ रचनाओं का चुनाव निर्णायक मंडल द्वारा निष्पक्ष रूप से किया जाता है।। अतः कोई भी रचनाकार निर्णय पर प्रश्न नहीं उठा सकता है।।

यदि कोई रचनाकार चुनी गई रचनाओं पर अभद्र टिप्पणी करता है या चुनाव प्रक्रिया का विरोध करता है तो उसे हिन्दी काव्य कोश से बाहर कर दिया जायेगा।।


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प्रतियोगिता का परिणाम प्रत्येक सप्ताह रविवार को घोषित किया जाएगा। 

जिसमें निर्णायक समिति द्वारा समान रूप से चुनी गई रचना को उत्कृष्ट घोषित किया जायेगा। जिसे हिन्दी काव्य कोश के फेसबुक पेज तथा ग्रुप्स में भेजा जायेगा तथा उनकी रचना को पत्रिका की वेबसाट www.hindikavykosh.in पर प्रकाशित किया जायेगा।।


💯 रचना चोरी की अनेकों शिकायतें हिन्दी काव्य कोश की जाँच समिति को प्राप्त हो रही हैं। हिन्दी काव्य कोश आपको यह सूचित करता है कि यदि आपकी रचना में किसी भी रचनाकार की कोई भी पंक्तियाँ पाई गईं तो आपकी रचना का चुनाव होने के बाद भी आपको सदैव के लिए आपकी रचना को हटा कर सार्वजनिक रूप से बाहर कर दिया जायेगा।।


सुझाव :

🗝️ रचनाकारों को अपनी रचना नीचे कॉमेंट में पेस्ट करने के बाद पत्रिका परिवार के फ़ेसबुक ग्रुप में ऊपर दी गई विषय चित्र के साथ रचना पोस्ट करना चाहिए जिससे उसे अधिक साहित्य प्रेमियों तक पहुँचाया जा सके |

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🗝️ रचनाओं का चुनाव Whatsapp पर नहीं किया जायेगा | अतः रचनाकारों से निवेदन है कृपया प्रतियोगिता विषय की रचनायें Whatsapp पर न भेजें | प्रतियोगिता से बाहर की रचनायें ( कहानी,कविता,लेख ) आदि के प्रकाशन हेतु उन्हें Whatsapp पर भेजी जा सकती हैं |




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21 टिप्पणियाँ

  1. जल

    जल कहता
    इंसान व्यर्थ क्यों ढोलता मुझे
    प्यास लगने पर तभी तो
    खोजने लगता है मुझे ।

    बादलों से छनकर
    जब बरस जाता
    सहेजना ना जानता
    इंसान इसलिए तरस जाता ।

    ये माहौल देख के
    नदियाँ रुदन करने लगती
    उसका पानी आँसुओं के रूप में
    इंसानों की आंखों में भरने लगी ।

    कैसे कहे मुझे व्यर्थ न बहाओ
    जल है तो कल है
    जल ही जीवन है
    ये बातें इंसानो को कहाँ से
    समझाओ ।

    अब इंसानो करना
    इतनी मेहरबानी
    जल सेवा कर
    बन जाना तुम दानी ।

    संजय वर्मा "दृष्टि
    125 , बलिदानी भगत सिंह मार्ग
    मनावर जिला धार (म. प्र )

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  2. अमृत सम्मान।

    मनुष्य जल के बिना नहीं रह सकता,
    ये हमारे जीवन का एहम हिस्सा।
    हमारा शरीर भी अधिकतर जल से ही बना,
    जल हमारे भीतर जान डाल देता।

    जल हमें प्रकृति बिना किसी शुल्क के देती,
    लेकिन हम मनुष्य उसे प्रदुषित कर,
    उपयोग के लिए भी उचित नहीं रहने देते।

    आज पीने योग्य जल बहुत कम रह गया,
    अगर सदुपयोग न किया,
    तो निकट भविष्य जलविहीन होगा।

    कुछ विशेषज्ञों की राय,
    शायद तीसरा विश्व युद्ध,
    जल को प्राप्त करने की प्रतिस्पर्धा के लिए हो।

    इसीलिए सारे विश्व को सोचना होगा,
    समुद्रजल को पीने लायक बनाना होगा,
    और ये तकनीक सबको मुहैया करवानी होगी।

    अनिल कुमार जसवाल,
    राम निवास गगरेट,
    जिला ऊना,
    हिमाचल प्रदेश।

    जवाब देंहटाएं
  3. विनय मोहन शर्मा5 सितंबर 2023 को 12:40 pm बजे

    जल

    सूख गया आँखों का जल
    नदिया में भी नीर कहाँ।
    छूकर सलिल पवन बहता था
    उसमें भी वह बात कहाँ।

    सूखा जलद चला आता है
    घन घोर घटा को साथ लिए।
    नहीं बूँद जल की है उसमें
    और निराशा साथ लिए।

    प्यासी धरा तरसती देखो
    ऑंखें नभ ओर टिकी हुई।
    मेघ व्योम से जल बरसेगा
    आस बूँद पर टिकी हुई।

    जलद नीर संग आकर नभ में
    बूँद बूँद जब बरसेंगे।
    धरा हरित फिर से होजाये
    नहीं प्यास जल तरसेंगे।

    नयन सलिल से पूरित हो कर
    प्रेम प्रीति से भर जाएं।
    जल पूरित हो जलद प्यार से
    जल भूमि पर बरसायें।

    जवाब देंहटाएं
  4. जय अग्निहोत्री 'यथार्थ'6 सितंबर 2023 को 1:08 pm बजे

    विषय- जल
    शीर्षक- पानी हूं मैं...

    पानी बनकर जन्मा, जीवन का स्वरूप हूं मैं...
    अम्बर के आंशू, धरा का गुरुर हूं मैं...
    माता का काया, गंगा की छाया हूं मैं...
    वरदान समझे जो, अनमोल माया हूं मैं...
    जननी बन जन्म लिया, उनकी पालनहार हूं मैं...

    व्यर्थ न समझो मुझको, पानी हूं मैं...

    मुखाग्नि बुझा दे, ऐसी काया हूं मैं..
    द्वेष भाव सब सम्मलित कर लूं, ऐसी अविरल धारा हूं मैं...
    कुलों की लाज बचा, जीवन उद्धार लगाता हूं मैं...
    श्राप बन, जीवन संहार करता हूं मैं...
    सुख दुःख का साथी, हर बात का साक्षी हूं मैं...

    व्यर्थ न समझो मुझको, पानी हूं मैं...

    हर रूप दिखाऊँ, हर रिश्ता निभाऊं, हर सांचे में ढल जाऊं मैं...
    न रूकूं मैं, न थकूं मैं, हर रास्ते में बढ़ता जाऊं मैं...
    जग में जीवन मिला, इसका सम्मान बढ़ाऊं मैं...
    पानी का क्या मोल, हर एक को समझाता जाऊं मैं...
    पानी हूं मैं...पानी हूं मैं...हर एक कर्तव्य निभाऊं मैं...

    व्यर्थ न समझो मुझको, पानी हूं मैं...


    जय अग्निहोत्री 'यथार्थ'
    कानपुर (उ०प्र०)

    जवाब देंहटाएं
  5. हिन्दी काव्य कोश
    साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता
    विषय - जल,विधा- कविता
    *************************
    जल से जीवन,जल बिन मृत्यु,
    जल ही जीवन का आधार है।
    जल से आस,जल से श्वास,
    जल बिन सृष्टि निराधार है।।
    वन-उपवन,पर्यावरण उल्लासित,
    फल-फूल,साग-सब्जी,अनाज्य।
    खेती-किसानी,फसल-सिंचाई में,
    जल का फैला सर्वत्र सम्राज्य।।
    पचि-पचि मरै जीव ए जल बिन,
    जल तो कोयल कूक श्रृंगार है।
    जल ही जीवन का आधार है।1।
    अली,कली,गुंजार,सुहासित,
    जल में मगर उमंगित उमदा।
    ताल-तलैया,सरिता-सागर सब,
    विटप,विहंग,मीन करे सजदा।।
    जल है तो ही कल है सबका,
    जल से धरा पर बसंत बहार है।
    जल ही जीवन का आधार है।2
    जल से हवा,जल है तो दवा है,
    जल बिन सृष्टि न चल पाए।
    शस्य श्यामला वसुधा जल से,
    उर विकार भी जल ही मिटाएं।।
    जल का बल असीमित है जानो,
    जल निर्मल जीवन संचार है।
    जल ही जीवन का आधार है।3।
    जल से गैया,जल से मैया
    जवान,किसान धन-धान्य,पावन।
    मेघ-गगन में जल है समाया,
    जल सावन सुहावन मनभावन।।
    निश-दिन कमल-नयन जल भीगे,
    गंग,जमुन नद,जग में जलधार है।
    जल ही जीवन का आधार है।4।
    स्वरचित मौलिक कविता रचना
    रचनाकार- आचार्य कमलेन्द्र
    नारायण चौबे
    मुन्नू खेड़ा,पारा,जनपद-लखनऊ राज्य-उ0प्र0,9682879902
    हिन्दी काव्य कोश, सादर नमन
    **************************

    जवाब देंहटाएं

  6. #हिन्दी_काव्य_कोश
    #tmkosh
    #साप्ताहिक_काव्य_प्रतियोगिता
    विषय: जल
    दिनांक: ०६.०९.२०२३


    आरंभ सृष्टि का तो अंत भी है जल,
    जल से ही जीवन है,जीवन है जल‌।

    ना रंग ना रूप पर गुणों से भरपूर,
    बहे ऊपर से नीचे,नहीं कोई गुरूर।

    घुलना मिलना है इसका स्वभाव,
    रहे जहां स्वीकारे वैसा ही भाव।

    बहे निर्मल सरल निष्कपट निष्पाप,
    स्थितिवश कभी हिम तो कभी वाष्प।

    शीतलता देती है इसकी शीतल प्रकृति,
    इसके अनुचित लाभ की बढ़ रही प्रवृत्ति।

    पंचतत्वों में से एक बड़ा अनमोल है जल,
    दोहन इसका करे विकृत आने वाला कल।

    उपकरण प्रकृति-श्रंगार का विशेष है ये जल,
    रक्षा को संकल्पित हो इसकी रक्षित हों स्वयं।


    👆स्वरचित मौलिक रचना
    द्वारा,सीमा अग्रवाल
    गोमतीनगर, लखनऊ
    उत्तर प्रदेश -२२६०१०

    जवाब देंहटाएं
  7. योगेन्द्र 'योगी' ( जल )
    पो० अतरौली जि० अलीगढ़ यू पी 202280
    हिन्दी काव्य कोश
    विधा- कविता
    विषय- जल ।।
    जल जीवन न व्यर्थ बहाओ,
    ‌‌ समझो औरों को समझाओ।
    कल की चिंता करो कराओ,
    समझो औरों को समझाओ।।
    जल न कल कल, मन न हलचल,
    कैसे होगा जीवन उज्जवल।
    है सम्मिलित ये पंच तत्व में,
    ये हरा भरा न होगा भूतल।
    हर मन इसकी अलख जगाओ,
    समझो औरों को समझाओ।1
    हर जीवन इस पर ही निर्भर,
    बिन इसके वन उपवन निर्झर।
    प्रकृति को भी महत्वपूर्ण अति,
    काया माया सब कुछ जर जर।
    शीध्र चेतना जन मन लाओ,
    समझो औरों को समझाओ।2
    महत्वहीन नदियां हो जायें,
    न जल जीव जीवित रह पायें।
    सागर सूखा किसे निहारे,
    न नारायण जलविहार कर पायें।
    कैसे जल क्रीड़ा कर पाओ,
    समझो औरों को समझाओ।3
    मानसून कैसे आयेंगे,
    नाच मयूरा न पायेंगे।
    नृत्य काल का 'योगी' होगा,
    क्या खायेंगे क्या पियेंगे।
    जन मन ज्योति दिव्य जलाओ,
    समझो औरों को समझाओ।4
    रचनाकार का नाम-- योगेन्द्र 'योगी'
    कला भवन, छिपैटी, अतरौली,
    जि० अलीगढ़ (यूं पी ) 202280
    मो० न० 9412594057

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  8. विषय :-जल
    पानी वारि नीर अंबु पय है
    हर नाम पर यह विजय है
    पंचतत्व में यह अनमोल है
    रंग रुप नही पर बेजोड़ है
    जल है तो कल है
    जल बिन जीवन विफल है
    जल बिन न हलचल है
    जीवन भी न उज्जवल है
    जल में मधुर कलकल है
    अग्नि दमन दमकल है
    जल पर कृषक आस है
    लहराये फसल विश्वास है
    जल जीवन जीवन जल है
    कर नदोहन विकृत कल है
    जलसे भाप भाप सेजल है
    भाप से चले रेल पलपल है
    जल से भूमि बसंत बहार है
    जल ही जीवन काआधार है
    तर गला धरा जल से है
    सर गर्व गंगा जल से है
    स्वरचित एवं मौलिक
    मंजु तिवारी दीवान
    बिलासपुर छत्तीसगढ़

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  9. जल ही जीवन है
    जल बिन जग सूना
    खेत खलिहान सूना
    घर आँगन सूना
    वृक्ष-लता सूना

       जल है इनका जीवन आधार
    कोई कैसे करे इनका तिरस्कार
    कोई कैसे करे इनसे शत्रुता -सा व्यवहार!

    जल है तो अस्तित्व हमारी है
    जल है तो जीवन प्यारी है
    जल है तो हरियाली है 
    जल है तो जिंदगी में खुशहाली है !

      बेकार मत बहाओ जल
    घर-घर की टंकी से मत गिराओ जल
    बूंद-बूंद बचाओ जल

       हर बूंद की कीमत है न्यारी
    जल है ही इतनी प्यारी
    जल है जीवन हमारी
    दिनचर्या की है साथी हमारी

    मानो तो यह बहता सोना है
    इसे किसी हाल में नहीं खोना है
    भविष्य के लिए इसे संजोना है !!

    स्वरचित
    डॉ अंजना वर्मा
    पटना ,बिहार

    जवाब देंहटाएं
  10. विषय: जल
    जल ही जीवन है सृजनता का आधार
    पर्यावरण अमूल्य निधि जल ही पालनहार
    विधाता की अनुपम देन इसका कोई ना पारावार
    धरा की प्यास बुझाता बिन इसके अधूरा जग संसार
    अलंकृत करता वसुंधरा को गाए राग मल्हार
    इंसा का सच्चा साथी गंधरहित, निराकार
    नगरीकरण ,औद्योगिकरण बड़ा रहा प्रदूषण
    जनसंख्या वृद्धि एक विकराल भूषण
    भूमंडलीय उष्मीकरण बन गया श्राप
    अलवणीय जल को लगा अभिशाप
    जागो मानव बूंद -बूंद कीमत पहचानो अमृत है इस सत्य को मानो
    मत करो जल से खिलवाड़
    नहीं बचेगा भविष्य के लिए
    फिर पछताओगे रोओगे ज़ार -ज़ार
    आदत सुधारो वरना प्रकृति करेगी अत्याचार
    संरक्षण करो मनोभाव धरो बनाओ सुंदर कल
    अद्भुत संसाधन है इस पर गौर करो खुशहाली का प्रतीक है जल!!!

    प्रीति कपूर
    शालीमार बाग ,दिल्ली
    स्वरचित मौलिक अप्रकाशित रचना

    जवाब देंहटाएं
  11. #हिन्दी _काव्य _कोश
    साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता
    दिनांक- 8/9/2023
    विषय - जल

    जल ही जीवन जीवन ही जल है।
    जल की काया जल मे विलीन है।
    जल बिन  सूना सब निरर्थक  है।
    बूंद बूंद जल से जीवन सार्थक है।।

    वारिस घनघोर घटा बन छाता है।
    अंतस ईहा उत्साहित हो जाती है।
    अंबर जब अमृत रस बरसाता है।
    शुष्क नयन से जल सरसाता है।।

    वसुधा,निर्झर पाते जीवन जल है।
    पशु-पक्षी,पेड़-पौधे जीवन जल है।
    व्यर्थ  बहता मानव अमुल्य जल है।
    जल को न जाने सब जलमग्न  है ।।
    उर्मिला पुरोहित
    उदयपुर, राजस्थान

    जवाब देंहटाएं
  12. साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता
    #हिन्दी_काव्य_कोश
    #tmkosh
    रचना विषय- जल

    नीर हूँ मैं, मेरी अनुभूति हैं शीतल-शीतल।
    जैसे जिसको मेरा आभास हैं निर्मल-निर्मल।

    जीवनी हैं मेरी विकराल और नीरस भी।
    मैं कहीं हूँ ज्वलंत भी कहीं कोमल-कोमल।

    माँ धरा की विशाल गोद में हिलकोरें लिए।
    मेरा अम्बर पुकारता मुझे बादल! बादल!

    कोई सागर, कोई सरिता, हैं कोई जीव-जन्तु।
    कोई झरना हो सुनाई न दे जल की कल-कल।

    रेत ही रेत हैं जिस खण्ड में जलकण ही नहीं।
    मृगमारीचिका की दृष्टि में मैं हूँ छल- छल।

    कोई चातक से जा कर पूछिए जल की उपमा।
    प्रतीक्षा करते हैं स्वाति नक्षत्र का पल-पल।

    एक विरहन के लिए हूँ प्रचण्ड सा सावन।
    प्रेम परिणय पियूष स्रोत में हूँ मधु फल-फल।

    कौन सा रंग मेरा, रस की क्या अनुभूति मेरी।
    रंग सकता है मुझे तू जहां चाहे नल-नल।

    तेरे नयनों से छलक जाता हूँ मैं सुख-दु:ख में।
    और जीवन की प्यास तृप्त करूं हूँ जल-जल।

    संवेदिता
    सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश
    यह रचना पूर्णतया मौलिक एवं स्वरचित है 🙏

    जवाब देंहटाएं
  13. जल
    ****
    जल ही जीवन है।
    जल बिन सब सून है जल जल कलपता है संसार।
    यूं तो चारों तरफ हमारे पानी की भरमार, पर शुद्ध जल ही चाहिए और सिर्फ इसकी है दरकार।
    जल में हमने खुद ही मिलाया और की है प्रदूषण की भरमार। कूड़ा ,करकट कचरा, डालें हमने नदी नालों की धारा में, और पूछ रहे हैं किसने तुमको गंदा किया है? गंगा जमुना के कुल किनारों से ।अब भी समय है मान जाओ
    हे मानव इतना
    भी मदहोश न हो। जीवन दाता जल को जीवनदाता ही रहने
    दो ।रोक दो जहर घोलना इसमें।
    बिष न इसे बनने
    दो।
    वरना फैल जाएगा,
    एक दिन इसका जहर
    बूंद बूंद से बरस बरस कर फैल जाएगा सर्वत्र कहर।
    मधु खोवाला
    स्वरचित
    पटना,बिहार

    जवाब देंहटाएं
  14. आराधना शुक्ला "बबली "8 सितंबर 2023 को 7:28 pm बजे

    #हिन्दी-काव्य_कोश_साप्ताहिक_काव्य_प्रतियोगिता
    नमन मंच
    विषय- जल
    दिनांक -7-9- 23

    काव्य कोश के मंच पर , भइ कवियों की भीर ।
    चर्चा मिलजुल सब करें, विषय होत गंभीर।।

    कीमत समझो नीर की,फेंको नहीं फिजूल।
    जब होती जल की कमी, जाये मस्ती भूल ।।

    पेड़ लगाओ धरा पर, हरा -भरा जग होय।
    पर्यावरण सुरक्षित हो, जल- स्तर ऊपर होय।।

    नीर को यूँ न फेंकना, जल से जीवन होय।
    जल बिन इस संसार में, जीवित बचे न कोय।।

    पानी पानी सब करै ,नहीं बचाए कोय।
    जौ पानी की कदर करै,प्यासा मरै न कोय।

    जल बिन जीवन भी नहीं,बात समझ में आय।
    वारि फिजूल न खर्चिए, रखिए इसे बचाय।

    बबली विनती कर रही, हाथ जोड़ कर आज।
    जल को आप बचाइए , जल बचाए समाज।।

    आराधना शुक्ला "बबली "
    अयोध्या ,उत्तर -प्रदेश

    स्वरचित ,मौलिक

    जवाब देंहटाएं
  15. श्रीमती करुणा दुबे
    " कीर्ति श्री "
    जबलपुर (मध्य प्रदेश)
    ******************
    #नमन-हिन्दी काव्य कोष मंच
    साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता
    #विषय--जल।
    #दिनांक-08/09/2023
    ###############

    जल की नन्ही बूंदों ने हैं करतब दिखाया,
    जल की नन्ही बूंदों में हैं जीवन समाया।
    यूँ व्यर्थ न बहाओ,जल की कीमत पहचानो,
    सच कहते हैं-
    " बूंद-बूंद से घट हैं भराया"।।
    (1)
    सूरज की प्रखर किरण हैं धरती को तपाती।
    व्याकुल धरा की तब तो,
    छाती ही फट जाती।।
    तकते हैं आँसमा को
    व्याकुल धरा के प्राणी।
    तड़पे हैं जीव- जन्तु
    चाहत गिर जाये पानी।।
    झरती घटा से बूंदें,
    मोती का हार बनाया ।
    सौंधी माटी खुशबू का,
    तब ही जादू छाया ।।
    जल की नन्ही बूंदों ने------
    (2)
    जल, नीर, वारि, तोय कहे,
    अंबु या कहें पानी।
    पंच तत्व में समाहित,
    जीवन की हैं निशानी ।।
    खेतों में लहलहा उठे,
    फसलें कई सुहानी ।
    झरना, नदी, तलाबों,
    पोखर, कुआँ की कहानी ।।
    सूखे पड़े रहे नहीं,
    इन में बचाओं पानी।
    "रहिमन" कवि बखाने-
    " सब सून बिन हैं पानी ।।
    जल की नन्ही बूंदों ने----'
    (3)
    दूषित न हो जल देखो,
    पर्यावरण बचाओ।
    दोहन करो न भूमि जल,
    पेड़- पौधों को लगाओ।।
    जल हैं तो कल हैं अपना ,
    बच्चों को भी सिखाओ।
    पर प्यासे पंथी- पंछी को,
    शुद्ध जल जरुर पिलाओ।।
    "जल का दान, महाकल्याण",
    पितृ तर्पण में देते पानी।
    संताप न दो किसी को इतना,
    आँखों से बह जाये पानी।।
    जल की नन्ही बूंदों ने----'
    जल की नन्ही बूंदों में----
    🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

    द्वारा---श्रीमती करुणा दुबे
    "कीर्ति श्री "
    जबलपुर
    मध्य प्रदेश ।।

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  16. शिवकान्त शुक्ल8 सितंबर 2023 को 9:50 pm बजे


    हिंदी_काव्य_कोश#tmkosh
    विषय-"जल"
    ***********
    जल जीवन का तन, मन, धन।
    इस जल को हम करें नमन।।
    जल तो जीवन का आधार।
    जीवन को देता आकार।।१
    जल स्रोतों की करें सफाई।
    जहां से हमने जल निधि पायी।
    जल का उचित प्रयोग करें।
    जिससे शाश्वत भोग करें।।२
    वर्षा का जल कर संरक्षित।
    कल का जीवन करें सुरक्षित।।
    दूषित जल मत कभी जमायें।
    मच्छर, मक्खी दूर भगाएं।।३
    स्वच्छ रखें जल के भंडार।
    बंद रखें रोगों के द्वार।।
    निर्मल जल का सीखें योग।
    फिर सब प्राणी रहें निरोग।।४
    शुद्ध नीर का हो उपयोग।
    नहीं रहेगा कोई रोग।।
    जल के लिए न युद्ध करें।
    गंदे जल को शुद्ध करें।।५
    पंचतत्व का अनुपम धन।
    रक्षा करता सबका तन।।
    वैद्यों ने जल महिमा गायी।
    सब रोगों की एक दवाई।।६
    अपनी धरा को हरा करें।
    जल स्रोतों को भरा करें।।
    जल का मूल्य शीघ्र पहचान।
    इसको दें पूरा सम्मान।।७
    जल की महिमा सबने गायी।
    जल की कौन करे भरपाई।
    जल ही सब कुछ पावन कर दे।
    मौसम को मनभावन कर दे।।८
    शिवाकान्त शुक्ल
    रायबरेली (उत्तर प्रदेश)
    मौलिक,स्वरचित,अप्रकाशित
    ०८-०९-२३

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  17. हिन्दीकाव्यकोश
    टाईम कोश
    साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता
    दिनाँक-08-09-2023
    विषय-:जल
    शीर्षक-:जल

    जल ही जीवन,जीवन ही जल,
    स्मरण रहे यह बात
    उपभोग हो इसका उचित रीति से,
    अन्यथा पलक झपकते ही
    नष्ट हो जायेगा,जीवों का बिसात,
    जतन करना है हम सबको इसका
    अन्यथा मानव का शून्य औकात,
    यह उपहार मिला किस्मत से
    न समझें इसको खैरात
    इस अमूल्य निधि का मात्रा सीमित है
    सोचना सुबह-शाम,दिन-रात
    जल....
    नीर प्रकृति का अनुपम उपहार
    इससे तरता सारा संसार
    रंगहीन द्रव रूप में मिलता
    स्वादहीन पर बड़ा असरदार
    उँच-नीच में भेद न करता
    प्यासा पथिक जब हो किसी के द्वार
    बहे चक्षु से तो अश्रु कहलाता
    सरिता में यही लहरों की धार
    गुण तो इसके हैं बहुतेरे
    पर थोड़े शब्दों में अपनी ज़ज्बात
    जल.......

    सत्येंद्र कुमार गुप्ता
    ग्राम बैजनाथपुर ब पोस्ट सलका
    विकासखंड भैयाथान सूरजपुर छत्तीसगढ़

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  18. *जय श्री कृष्ण माधव
    *रमेशचन्द्र बोहरा
    *नमन हिन्दी काव्य कोश
    #tmkosh
    साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता
    *विषय-जल
    *दिनांक-८.९.२०२३
    *******
    *जल के बिना चले ना जीवन
    जल जीवन आधार
    जल वायु पर कोई न बंधन
    इन पर सबका अधिकार।

    जल के चक्र से जीवन चलता
    जल जीवन पनपाता
    भोजन बिना चले जीवन पर
    जल बिन नहीं चल पाता
    सागर के जीवों से पूछो
    जल बिन क्या संसार।
    नदियां जल सागर ले जाती
    सागर से बादल जल पाता
    घूम घूम कर जलद वही
    सूखी धरती की प्यास बुझाता
    यही चक्र जल का धरती पर
    जीवन का आधार।

    रोटी जिसके लिए चांद है
    देख भले ले खा नहीं पाता
    सह नहीं पाता अगन भूख की
    जल पी कर वह अगन बुझाता
    जल न हो तो इनका जीवन
    सहता कष्ट अपार।

    रेती के टीलों ऊपर बस
    जिनकी कहानी चलती है
    मीलों से पानी ढो ढो कर
    घुट घुट कर जवानी ढलती है
    उनसे पूछो जल की कीमत
    जल बिन सूखा संसार।

    जल से जीवन जल से जंगल
    जल से जगत का कारोबार
    जल अमृत है जल पावन है
    जल है तो है यह संसार
    जल के बिना चले नहीं
    तन की सांसों की सितार।

    नदियों के जल से तट पर
    जन्मी कई सभ्यताएं
    जल को पूजा मान देवता
    जल से जुड़ी परम्पराओं
    जल न बरसे तो अकाल है
    अति बरसे तो हाहाकार।
    *******
    *स्व लिखित,मौलिक सृजन-
    *रमेशचन्द्र बोहरा
    *जोधपुर-३४२००५
    *राजस्थान।

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