Hindi Poem On Water | जल पर 5 प्रसिद्ध कविता/पानी पर उत्कृष्ट हिन्दी कविता


 जल-अनिल कुमार जसवाल


मनुष्य जल के बिना नहीं रह सकता,

ये हमारे जीवन का एहम हिस्सा।

हमारा शरीर भी अधिकतर जल से ही बना,

जल हमारे भीतर जान डाल देता।


जल हमें प्रकृति बिना किसी शुल्क के देती,

लेकिन हम मनुष्य उसे प्रदुषित कर,

उपयोग के लिए भी उचित नहीं रहने देते।


आज पीने योग्य जल बहुत कम रह गया,

अगर सदुपयोग न किया,

तो निकट भविष्य जलविहीन होगा।


कुछ विशेषज्ञों की राय,

शायद तीसरा विश्व युद्ध,

जल को प्राप्त करने की प्रतिस्पर्धा के लिए हो।


इसीलिए सारे विश्व को सोचना होगा,

समुद्रजल को पीने लायक बनाना होगा,

और ये तकनीक सबको मुहैया करवानी होगी।

अनिल कुमार जसवाल,
ऊना, हिमाचल प्रदेश


जल- जय अग्निहोत्री 'यथार्थ'


पानी बनकर जन्मा, जीवन का स्वरूप हूं मैं...

अम्बर के आंशू, धरा का गुरुर हूं मैं...

माता का काया, गंगा की छाया हूं मैं...

वरदान समझे जो, अनमोल माया हूं मैं...

जननी बन जन्म लिया, उनकी पालनहार हूं मैं...


व्यर्थ न समझो मुझको, पानी हूं मैं...


मुखाग्नि बुझा दे, ऐसी काया हूं मैं..

द्वेष भाव सब सम्मलित कर लूं, ऐसी अविरल धारा हूं मैं...

कुलों की लाज बचा, जीवन उद्धार लगाता हूं मैं...

श्राप बन, जीवन संहार करता हूं मैं...

सुख दुःख का साथी, हर बात का साक्षी हूं मैं...


व्यर्थ न समझो मुझको, पानी हूं मैं...


हर रूप दिखाऊँ, हर रिश्ता निभाऊं, हर सांचे में ढल जाऊं मैं...

न रूकूं मैं, न थकूं मैं, हर रास्ते में बढ़ता जाऊं मैं...

जग में जीवन मिला, इसका सम्मान बढ़ाऊं मैं...

पानी का क्या मोल, हर एक को समझाता जाऊं मैं...

पानी हूं मैं...पानी हूं मैं...हर एक कर्तव्य निभाऊं मैं...

व्यर्थ न समझो मुझको, पानी हूं मैं...

जय अग्निहोत्री 'यथार्थ'
कानपुर, उ०प्र०


जल- करुणा दुबे "कीर्ति श्री "


जल की नन्ही बूंदों ने हैं करतब दिखाया,

जल की नन्ही बूंदों में हैं जीवन समाया।

यूँ व्यर्थ न बहाओ,जल की कीमत पहचानो,

सच कहते हैं-

" बूंद-बूंद से घट हैं भराया"।।

सूरज की प्रखर किरण हैं धरती को तपाती।

व्याकुल धरा की तब तो,

छाती ही फट जाती।।

तकते हैं आँसमा को

व्याकुल धरा के प्राणी।

तड़पे हैं जीव- जन्तु

चाहत गिर जाये पानी।।

झरती घटा से बूंदें,

मोती का हार बनाया ।

सौंधी माटी खुशबू का,

तब ही जादू छाया ।।

जल की नन्ही बूंदों ने------


जल, नीर, वारि, तोय कहे,

अंबु या कहें पानी।

पंच तत्व में समाहित,

जीवन की हैं निशानी ।।

खेतों में लहलहा उठे,

फसलें कई सुहानी ।

झरना, नदी, तलाबों,

पोखर, कुआँ की कहानी ।।

सूखे पड़े रहे नहीं,

इन में बचाओं पानी।

"रहिमन" कवि बखाने-

" सब सून बिन हैं पानी ।।

जल की नन्ही बूंदों ने----'


दूषित न हो जल देखो,

पर्यावरण बचाओ।

दोहन करो न भूमि जल,

पेड़- पौधों को लगाओ।।

जल हैं तो कल हैं अपना ,

बच्चों को भी सिखाओ।

पर प्यासे पंथी- पंछी को,

शुद्ध जल जरुर पिलाओ।।

"जल का दान, महाकल्याण",

पितृ तर्पण में देते पानी।

संताप न दो किसी को इतना,

आँखों से बह जाये पानी।।

जल की नन्ही बूंदों ने----'

जल की नन्ही बूंदों में----

करुणा दुबे "कीर्ति श्री "
जबलपुर, मध्य प्रदेश


जल- आराधना शुक्ला "बबली "


काव्य कोश के मंच पर , भइ कवियों की भीर ।

चर्चा मिलजुल सब करें, विषय होत गंभीर।।


कीमत समझो नीर की,फेंको नहीं फिजूल।

जब होती जल की कमी, जाये मस्ती भूल ।।


पेड़ लगाओ धरा पर, हरा -भरा जग होय।

पर्यावरण सुरक्षित हो, जल- स्तर ऊपर होय।।


नीर को यूँ न फेंकना, जल से जीवन होय।

जल बिन इस संसार में, जीवित बचे न कोय।।


पानी पानी सब करै ,नहीं बचाए कोय।

जौ पानी की कदर करै,प्यासा मरै न कोय।


जल बिन जीवन भी नहीं,बात समझ में आय।

वारि फिजूल न खर्चिए, रखिए इसे बचाय।


बबली विनती कर रही, हाथ जोड़ कर आज।

जल को आप बचाइए , जल बचाए समाज।।

आराधना शुक्ला "बबली "
अयोध्या ,उत्तर -प्रदेश


जल- सत्येंद्र कुमार गुप्ता


जल ही जीवन,जीवन ही जल,

स्मरण रहे यह बात

उपभोग हो इसका उचित रीति से,

अन्यथा पलक झपकते ही

नष्ट हो जायेगा,जीवों का बिसात,

जतन करना है हम सबको इसका

अन्यथा मानव का शून्य औकात,

यह उपहार मिला किस्मत से

न समझें इसको खैरात

इस अमूल्य निधि का मात्रा सीमित है

सोचना सुबह-शाम,दिन-रात

जल....

नीर प्रकृति का अनुपम उपहार

इससे तरता सारा संसार

रंगहीन द्रव रूप में मिलता

स्वादहीन पर बड़ा असरदार

उँच-नीच में भेद न करता

प्यासा पथिक जब हो किसी के द्वार

बहे चक्षु से तो अश्रु कहलाता

सरिता में यही लहरों की धार

गुण तो इसके हैं बहुतेरे

पर थोड़े शब्दों में अपनी ज़ज्बात

जल.......

सत्येंद्र कुमार गुप्ता
सूरजपुर, छत्तीसगढ़



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