साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता विषय- विश्वास || Hindi Kavita on trust/Vishvas

 

प्रतियोगिता से संबंधित नियम व शर्तें

रचना विषय  - ' विश्वास  '

प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने की प्रक्रिया

♻️ रचना विषय प्रत्येक सोमवार सुबह पत्रिका के App पर प्रकाशित किया जायेगा।

♻️ रचनाकार को अपनी रचनाएँ App में दिए गए प्रतियोगिता विषय के कॉमेंट में लिखना होगा।

♻️ रचनाकार कॉमेंट में रचना पोस्ट करते समय रचना में नीचे अपना नाम जिला व प्रदेश अवश्य लिखें अन्यथा रचना अस्वीकृत होगी।

♻️ रचनाएँ 12-16 पंक्तियों में अपनी रचना पूर्ण करें।

♻️ रचना में हिन्दी भाषा के शब्दों के प्रयोग को प्राथमिकता दी जाएगी अतः हिंदी के शब्द का ही प्रयोग करें।

♻️ रचना के उत्कृष्ट भाव होने पर कुछ अन्य भाषा के सामान्य शब्दों की छूट या उसे हिन्दी भाषा के शब्दों से प्रतिस्थापित किया जा सकता है।

♻️ रचना के उत्कृष्ट होने पर रचना के चयन हेतु उसमें कुछ शब्दों अथवा पंक्तियों के परिवर्तित कर उसे प्रकाशित करने का अधिकार निर्णायक समिति के पास सुरक्षित है |

♻️ यदि कोई रचनाकार हिन्दी से पृथक् भाषा के शब्दों का प्रयोग अधिक करता है तो उसकी रचना को निर्णय से हटा दिया जायेगा तथा प्रयास किया जायेगा कि उसे सुझाव दिया जाए।

♻️ रचनाएँ भावाश्रित होने के साथ ही व्याकरण तथा साहित्य के दोषों से मुक्त हों जिससे उसके चयन की सर्वाधिक संभावना हो।

♻️ साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता के आयोजन का उद्देश्य हिन्दी भाषा के प्रति जागृत करना है अतः प्रतियोगिता में सर्वाधिक ध्यान भाव के साथ हिन्दी शब्दों के सर्वाधिक प्रयोग पर है।

♻️ किसी भी शब्द की पुनरावृत्ति  किसी भी लेखन में त्रुटि मानी जाती है अतः किसी शब्द की पुनरावृत्ति से बचने हुए हिन्दी भाषा के अलग - अलग उपयुक्त शब्दों का प्रयोग करें।

♻️ रचनाएँ प्रत्येक शुक्रवार रात्रि १० बजे तक ही स्वीकार होंगी।

♻️ साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता का परिणाम रविवार को पत्रिका की वेबसाइट पर प्रकाशित कर दिया जायेगा।

♻️ परिणाम प्रकाशित होने के बाद चुने गए रचनाकार को अपना पासपोर्ट साइज़ फोटो पत्रिका के आधिकारिक व्हाट्सएप +91 6392263716 पर भेज देना है।

♻️ पासपोर्ट साइज़ फोटो प्रशस्ति -पत्र पर प्रयोग करने हेतु मंगाया जाता है, यदि चुने गए रचनाकार द्वारा रविवार शाम तक फोटो नहीं भेजा गया तो बिना फोटो के ही प्रशस्ति -पत्र जारी कर दिया जायेगा।

♻️ प्रशस्ति -पत्र पत्रिका के फेसबुक पेज, फेसबुक ग्रुप या इंस्टाग्राम आदि से प्राप्त किया जा सकता है जिसकी लिंक वेबसाइट पर उपलब्ध है ।

♻️ किसी आपातकालीन स्थिति में प्रशस्ति -पत्र को पत्रिका के व्हाट्सएप से भी प्राप्त किया जा सकता है।

♻️ प्रशस्ति -पत्र ई-फॉर्मेट में जारी किया जायेगा तथा जो रचनाकार चाहें इसकी हार्डकॉपी निःशुल्क प्रयागराज से प्राप्त कर सकते हैं।

♻️ प्रशस्ति -पत्र अपने डाक पते पर मंगाने हेतु रचनाकार को कुछ आवश्यक शुल्क देने होंगे, जिससे उनके पते पर इसे भेज दिया जा सके।


♦️ रचना कैसे करें?

1️⃣ रचना करने के लिए सबसे पहले आप हिन्दी काव्य कोश के मोबाइल App पर आयेंगे जहाँ पर प्रत्येक सोमवार को विषय पोस्ट किया जाता है।

2️⃣पत्रिका के App पर दिए गए विषय पोस्ट पर क्लिक कर उसके नीचे दिए गए कॉमेंट बॉक्स में अपनी रचना लिखकर Submit कर देंगे।

3️⃣ रचनाकारों को हिन्दी काव्य कोश के फेसबुक ग्रुप में अपनी रचनाएँ अवश्य भेजनी चाहिए परंतु यह ऐच्छिक है।

4️⃣ रचना कॉमेंट में सबमिट होने के बाद उसे वही रचनाकार edit नहीं किया जाना है।

5️⃣ रचनाकारों को सुझाव दिया जाता है कि वे एक बार कॉमेंट करने से पहले Log in कर लें जिससे नाम के साथ उनका कॉमेंट प्रदर्शित हो।

 किसी प्रकार की समस्या होने पर पत्रिका के व्हाट्सएप नंबर +91 6392263716 पर समस्या साझा करें।

6️⃣ चुनी गई रचना का लिंक प्रत्येक विषय पोस्ट के नीचे जोड़ दिया जायेगा जिसपर क्लिक करके उस विषय की चुनी गई रचनाओं को बाद में पढ़ा जा सकेगा।

7️⃣ रचनाओं का चुनाव निर्णायक मंडल द्वारा निष्पक्ष रूप से किया जाता है।। अतः कोई भी रचनाकार निर्णय पर प्रश्न नहीं उठा सकता है।।

यदि कोई रचनाकार चुनी गई रचनाओं पर अभद्र टिप्पणी करता है या चुनाव प्रक्रिया का विरोध करता है तो उसे हिन्दी काव्य कोश से बाहर कर दिया जायेगा।।


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प्रतियोगिता का परिणाम प्रत्येक सप्ताह रविवार को घोषित किया जाएगा। 

जिसमें निर्णायक समिति द्वारा समान रूप से चुनी गई रचना को उत्कृष्ट घोषित किया जायेगा। जिसे हिन्दी काव्य कोश के फेसबुक पेज तथा ग्रुप्स में भेजा जायेगा तथा उनकी रचना को पत्रिका की वेबसाट www.hindikavykosh.in पर प्रकाशित किया जायेगा।।


💯 रचना चोरी की अनेकों शिकायतें हिन्दी काव्य कोश की जाँच समिति को प्राप्त हो रही हैं। हिन्दी काव्य कोश आपको यह सूचित करता है कि यदि आपकी रचना में किसी भी रचनाकार की कोई भी पंक्तियाँ पाई गईं तो आपकी रचना का चुनाव होने के बाद भी आपको सदैव के लिए आपकी रचना को हटा कर सार्वजनिक रूप से बाहर कर दिया जायेगा।।


सुझाव :

🗝️ रचनाकारों को अपनी रचना नीचे कॉमेंट में पेस्ट करने के बाद पत्रिका परिवार के फ़ेसबुक ग्रुप में ऊपर दी गई विषय चित्र के साथ रचना पोस्ट करना चाहिए जिससे उसे अधिक साहित्य प्रेमियों तक पहुँचाया जा सके |

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🗝️ रचनाओं का चुनाव Whatsapp पर नहीं किया जायेगा | अतः रचनाकारों से निवेदन है कृपया प्रतियोगिता विषय की रचनायें Whatsapp पर न भेजें | प्रतियोगिता से बाहर की रचनायें ( कहानी,कविता,लेख ) आदि के प्रकाशन हेतु उन्हें Whatsapp पर भेजी जा सकती हैं |




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32 टिप्पणियाँ


  1. #विश्वास

    श्री बालाजी जो जब दिल की बात बताए
    लोग कहते है ये सनातन का जमाना है

    भक्त जब जयकारा लगाए
    लोग उसे कहते ये श्री बालाजी दीवाना है

    श्री बालाजी का हम सबको आशीर्वाद पाना है
    सनातन धर्म का सारे जग में ध्वज फहराना है

    करें भक्ति संग पलों से मन का विश्वास बढ़ाएँ
    पूजन वंदन से सुख कैसे पाते ये दुनिया को दिखाना है

    सनातन के भक्तों को ये बातें कैसे बताएँ
    श्री बागेश्वर धाम से हमने बना लिए रिश्ते उन्हें अब सजाना है

    फूलों को मौसम की नजाकत कैसे बताएँ
    सनातन के दीपक को अधर्म की आँधियों से बचाना है

    संजय वर्मा "दृष्टि "
    125 बलिदानी भगत सिंग मार्ग
    मनावर जिला धार (म प्र )
    9893070756

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  2. विश्वास

    प्रियतम मेरे
    न तोड़ना तुम मेरा विश्वास
    बसे तुम मेरी हर श्वास

    तुम बिन भाए न भोग विलास
    खो बैठी सुध,विरह के उच्छ्वास

    कैसे काटूँ एकाकी जीवन बनवास
    पीड़ा का डेरा, क्रंदन का निवास

    कंपित अधरों पर ठहरी मूक प्यास
    दृग पुलिनों पर टिकी मिलन आस

    काँच से टूटे सपनों का आवास
    क्या मेरी वेदना का तनिक आभास?

    क्षणिक तुम जो आ जाते पास
    भर जाता उर में उल्लास

    उड़ती मैं ज्यूँ श्वेत कपास
    उन्माद भरे प्रणय का मधुमास

    किलकित मन चितवन विलास
    पुलकित धड़कन छू मादक निश्वास

    मृदु मिलन हमारा रचता इतिहास
    प्रियतम मेरे न तोड़ना तुम मेरा विश्वास।

    रेखांकन।रेखा ड्रोलिया
    कोलकाता
    स्वरचित

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  3. सफलता का आधार।

    आज प्रतिस्पर्धा का समय,
    हर कोई एक दुसरे से आगे निकलना चाहता,
    उसके लिए हर हथकंडा अपनाता,
    यहां तक की कुछ भी करने को तैयार हो जाता।

    लेकिन इन सबके लिए,
    सबसे पहने अपने उपर विश्वास
    सबसे आवश्यक।

    अगर आपको अपने उपर विश्वास है,
    तो किसी भी काम को कर पाएंगे,
    वो चाहे कठिन हो या सरल,
    आप घबराएंगे नहीं,
    आप गहन दिलचस्पी दिखाएंगे,
    और पुरी एकाग्रता से सही दिशा पकड़ेंगे।


    जब आप थोड़े सफल होते,
    तो आपका विश्वास और सुदृढ़ होता,
    इसके साथ एकाग्रता में भी बढ़ोतरी होती,
    आप लक्ष्य की ओर तीव्रता से बढ़ते।

    अनिल कुमार जसवाल,
    राम निवास गगरेट,
    जिला ऊना,
    हिमाचल प्रदेश।

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  4. हिन्दी_काव्य_कोश साहित्यिक मंच को सादर समीक्षार्थ प्रेषित।
    आयोजन: साप्ताहिक साहित्यिक लेखन प्रतियोगिता
    प्रदत्त विषय: विश्वास
    विधा: कविता, भाषा: हिन्दी
    प्रकार: स्वरचित एवं मौलिक

    शीर्षक: आत्मविश्वास

    जीवन में कभी न टूटने देना, आत्मविश्वास की प्रबल डोर।
    इसे बचाने का प्रयास ही, खींचे सफलता को अपनी ओर।
    चाहे सारा जग विमुख हो, पर तुम न छोड़ना अपना छोर।
    हर मुश्किल से पार लगोगे, यह समय परखे तुम्हारा ज़ोर।

    तुम्हारी खुशियाँ लूटने आऍंगे, दुःख-विपदा के काले चोर।
    तुम गर्जन से डरना नहीं, नाचना बूॅंदों के संग बनकर मोर।
    विषमता में विजेता बनो, न रहो लाचार, न बनो कमज़ोर।
    यूँ बजे उठे जीत का डंका, जिसकी ध्वनि गूँजे चारों ओर।

    काली रात का सामना करो, इसके बाद सुनिश्चित है भोर।
    यूँ रात का सन्नाटा टूटेगा, प्रकाश में सारे पक्षी करेंगे शोर।
    जीवन में एक लक्ष्य के पीछे, अनेक लोगों में लगेगी होड़।
    या जीतना या सीखना, हारे तो साहस को लेना तुम जोड़।

    कभी समय एक-सा न रहे, अब उसका, तब उसका दौर।
    इमारतें ढहीं व शोहरतें बहीं, पर न बदला समय का तौर।
    जिसका अटल हो विश्वास, उसे समय बनाता है सिरमौर।
    जो मन से हारा उसे समय ने नकारा, कहा: है कोई और?

    घोषणा: प्रस्तुत काव्य रचना मेरी मौलिक एवं अप्रकाशित रचना है। इसका किसी भी अन्य प्रतियोगिता, आयोजन या संकलन इत्यादि से कोई सम्बन्ध नहीं है। यदि कतिपय आयोजकों को इसका प्रत्यक्ष सम्बन्ध किसी भी मंच, संकलन या आयोजन में मिलता है, तो इसकी पूर्ण ज़िम्मेदारी मेरी होगी एवं हिन्दी काव्य कोश मेरी प्रतिभागिता को निरस्त करने हेतु पूर्णतः स्वतंत्र होगा।

    इंजी. हिमांशु बडोनी "दयानिधि"
    जिला: पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखण्ड)
    सम्पर्क सूत्र: 8979675637

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  5. गुस्ताख़शब्द (अर्चित मोहन)12 सितंबर 2023 को 12:08 am बजे

    नाम: गुस्ताख़शब्द (अर्चित मोहन)
    कविता: विश्वास
    जिला: लखीमपुर- खीरी, उत्तर प्रदेश

    अनुराग अविचल रहे सचेत,
    प्रणय डोर विश्वास की रेत।
    कर्म कीर्ति में स्याह हो भेद,
    अहं आचार में कैसा खेद??

    माप प्रचुर पर अल्प हो मेल,
    ऐ मानुस तेरी निष्ठा खेल।
    सतत चेष्टा विकीर्ण है फेर,
    अनंत काल में स्वयं ही ढेर।।

    तेरा लोभ एक विकृत लेन,
    बही खाते बस नरक है देन।
    स्थिर न पद और न ही भेष,
    एक दिन तिनका रहेगा शेष।।
    © गुस्ताख़शब्द

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  6. एक दिन मिलूंगा मैं तुमसे ,
    जैसे मिले थे पहली बार।
    वैसे ही फिर नई जान पहचान बनायेंगे,
    और घुल जायेंगे एक दूसरे में जार जार ।
    फिर से वादे करेंगे कसमें खाएंगे
    सुनसान राहों में दूर तलक जायेंगे।
    बैठेंगे एकांत नील गगन के तले ,
    गिनेंगे तारे उंगलियो पर ।
    उड़ने को मदमस्त हवा के संग,
    ले आयेंगे उधार मोहब्बत के पर।
    उड़ेंगे गगन मे उम्मीदों के साथ,
    थाम कर अपने हाथों में तुम्हारा हाथ।
    जायेंगे एक साथ हम दोनो मंजिल की ओर,
    बिताएंगे साथ हम जिंदगी के सुनहरे पल अपने।
    बाटेंगे आंसू एक दूसरे के हम दोनो,
    जिएंगे साथ साथ फिर वही पुराने सपने।
    बैठ कर एकांत पेड़ के नीचे ,
    मिलने की तुमसे लगाता हूं फिर आस,
    एक दिन मिलूंगा मैं तुमसे,
    जैसे मिले थे पहली बार ।
    ......मुझे है विश्वास..... मुझे है विश्वास

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  7. विश्वास कर तो ले लेकिन विश्वास बनाए कौन रखेगा,
    हम जिस पर विश्वास करेंगे वही हमें बेवकूफ बताकर हंसेगा,


    अब से पहले यही हुआ है और आज भी हो रहा है,
    धोखा देने वाला सख्स बड़े आराम से सो रहा है,


    मगर फिर भी कुछ लोग यहां जो विश्वास में ही विश्वास करते हैं,
    खाकर अनेक धोखे वे फिर भी अपना विश्वास कायम रखते हैं,


    है नवीन तलाश में की कौन वास्तव में मुझ पर विश्वास करता है,
    ऐसे व्यक्ति की तलाश में ही मुझे अपना जीवन यापन करना है।


    रचना - नवीन पाल इन्साँ
    जिला - मुजफ्फरनगर
    उत्तर प्रदेश
    सम्पर्क - wa.me/919813149074
    📧 - naveenjiwriter@gmail.com

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  8. विश्वास
    काश...
    विश्वास की गहराइयां
    भाप जाते तुम कभी
    हृदय के सहज भाव को
    महसूस कर पाते तुम कभी
    बिन कहे शब्दों के अर्थ को
    जान लेते तुम कभी
    हमारे बीच बंधी इस विश्वास की डोर को समझ पाते तुम कभी
    विश्वास को विश्वास बनाए रखने का
    सही मतलब समझ पाते तुम कभी

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  9. #हिन्दी_काव्य_कोष
    #tmkosh
    दिनाँक 13/09/23
    विषय - "विश्वास"
    विधा - कविता

                        "विश्वास"
    भरोसा कभी तोड़ना न तुम, एतबार बनाए रखना।
    मैं जो आज हूं कल भी रहूंगी,विश्वास बनाए रखना।।

    मैंने तुम्हें हमेशा चाहा, तुम ही दिल में रहते हो।
    तू ही तमन्ना, तू आरजू , तू ही मंजिल में रहते हो।।
    सात फेरों में वादे किए, वो इकरार बनाए रखना।
    भरोसा कभी तोड़ना न तुम एतबार बनाए रखना।

    इक ज़रा मुझको न देखो तो,नजरों से तलाशते हो।
    अभी तक तूने मेरे लिए , हर अपनापन निभाते हो।।
    पर ता-उम्र यही चाहत, यही इंतजार बनाए रखना।
    भरोसा कभी तोड़ना न तुम, एतबार बनाए रखना।

    तुम बिन जी नहीं पाऊंगा,कभी भी तुम कह देते हो।
    कभी कड़वी मैं बोल भी दूं तो ,तुम चुप सह लेते हो।।
    मैं चाहूं जीवन-भर मुझसे, ये व्यवहार बनाए रखना।
    भरोसा कभी तोड़ना न तुम, एतबार बनाए रखना।

    वादा करो आखिरी दम तक,तू मेरा साथ निभाओगे।
    लाख सितम करे जिंदगी पर,मुझको छोड़ न जाओगे।।
    तुम गृहस्ती के गुलशन को ,सदाबहार बनाए रखना।
    भरोसा कभी तोड़ना न तुम ,एतबार बनाए रखना।

    वेदवंती 'वेदी' /रांची (झारखंड)
    महावीर मंदिर गली,बुण्डू
    मेरी मौलिक एवं स्वरचित रचना।


                                     
                                          

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  10. विषय :-विश्वास
    एक आस एक विश्वास
    मन में है श्रद्धा खास
    बसे तुम मेरे हर श्वास
    छाए जीवन में उल्लास
    देता है मधुर आभास
    हो जाता स्थायी आवास
    तुम करो इसमें निवास
    बढ़ जाता है आत्मविश्वास
    यह पड़ाव का शिलान्यास
    ऐसे ही बीते दिन व मास
    तुम रहो सदा मेरे आसपास
    यू ही बनता जाये इतिहास
    ऐसे ही करो हृदय में वास
    चहु ओर हो जाए मिठास
    हरि हर में ही मेरे आस
    यहीहै जीवन का उच्छवास
    ऐसे ही बढ़ता जाये विश्वास
    होजाये अपना पूर्ण विकास

    प्रस्तुतकर्ता
    मंजु तिवारी दीवान
    बिलासपुर छत्तीसगढ़

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  11. #विश्वास
    एक नाजुक से बंधन से बंधा है,
    ये सारा जमाना
    ना जाने कितने हिस्सो मे जुडकर,
    बनाया ये आशियाना

    बहुत मजबूती से प्यार के
    लेप से तराशा गया है
    स्नेह के बंधन से बांधकर
    निखारा गया है
    विचारों का तालमेल
    और मधुर भाषा का संगम है
    कितनी पीढ़ियों का आत्म सम्मान
    और नजरों का संयम है
    थाम कर उम्र भर इससे,
    रिश्ते निभाए जाते हैं
    यह वे संकल्प है
    जो विश्वास के कच्चे धागे में पिरोए जाते हैं

    सोनिया चेतन कानूनगो
    अकोला ,महाराष्ट्र

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  12. #हिंदी काव्य कोश
    #tmkosh
    साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता
    विषय - विश्वास
    माया पाण्डेय
    उरई (उत्तर प्रदेश)
    विश्वास पत्थर को भी भगवान बना देता है।
    विश्वास निराशा में भी आस जगा देता है।
    घनघोर अंधेरी रात के उस पार चमकता सूरज है।
    यह आस है विश्वास।
    विश्वास है तो सब कुछ है, वरना कुछ भी नही।
    डॉक्टर की दवा भी तभी काम करती है,
    जब मन में हो विश्वास
    ईश्वर जो भी करेगा हमारे हित में ही करेगा,
    आशा से भरा यह भाव है विश्वास।
    पिता की उंगली थामे बच्चा भीड़ में भी नही डरता,
    मेरे सिर पर पिता का हाथ है, छाया है,
    अपनेपन से भरा यह भाव है विश्वास।
    मेरा आत्म विश्वास अखंडित रहे, विपत्ति में भी न घबराऊं ,दुख में भी मुस्कुराऊं,यही भाव है विश्वास।
    माया पाण्डेय
    सुशील नगर
    उरई (उत्तर प्रदेश )

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  13. #हिन्दी_काव्य_कोश
    #tmkosh
    #साप्ताहिक_काव्य_प्रतियोगिता
    विषय: विश्वास
    दिनांक: १५.०९.२०२३

    'विश्वास'का संबल होता अति सशक्त,
    थामे इसको ही खड़ा हुआ यह जगत;
    समेटे स्वयं में अद्भुत विरोधाभास..
    रहता यूं तो चट्टान सा अडिग..पर;
    कच्चे सूत सा टूट भी सकता 'विश्वास'!
    विश्वास से ही होता निर्मित,
    परस्पर संबंधों का आधार,
    छल-छद्म संग कपट व्यवहार..
    ला सकता इस आधार में दरार!
    बहुत ही अनुपम यह अनमोल रतन,
    सहेजना होता इसे करके पूरा जतन;
    खोया विश्वास पुनः पाना,
    होता अत्यंत ही दुष्कर;
    शायद.. इसी से रहता सर्वाधिक,
    विश्वास को खोने का डर‌!
    यूं ही नहीं कर लेता कोई..
    किसी पर भी विश्वास;
    आवश्यक है इसके लिए..
    परस्पर प्रेम,समझ संग ईमानदार प्रयास!
    सबसे बड़ा तो होता है मन का ही विश्वास,
    दृढ़ हो यदि यह तो पूरन करता हर आस!
    विश्वस्त पर तो रहे अवश्य ही पूर्ण विश्वास,
    परंतु बनने न पाए यह कभी भी अंधविश्वास!


    👆स्वरचित मौलिक रचना
    द्वारा,सीमा अग्रवाल
    गोमतीनगर, लखनऊ
    उत्तर प्रदेश -२२६०१०

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  14. रमेशचन्द्र बोहरा

    *जय श्री कृष्ण माधव
    *नमन हिन्दी काव्य कोश मंच
    #tmkosh
    *साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता
    *विषय-विश्वास
    *दिनांक-११५.९.२०२३
    *******
    *खण्ड-खण्ड न हो आशा प्रचण्ड हो विश्वास
    मानव अपने शौर्य से लिख देता इतिहास।

    अगर निराशा कदम- कदम मन पर छाई हताशा
    साथ किसी का मिले नहीं,जो दे सके दिलासा
    तब रथ के घोड़ों की भांति थामो मन की रास।

    टूटे जब विश्वास कदम डगमगा ही जाते
    सम्बल पा विश्वास का पग बढ़ते ही जाते
    किरण आस की दिखे तो बढ़ जाता है विश्वास।

    डोर एक विश्वास की बांधे रखती है परिवार
    शक का घुन जो लगे पड़े संबंधों में दरार
    पर अटूट सम्बन्ध बना कर रखता है विश्वास।

    अति विश्वास बुरा होता बढ़ जाता है गुमान
    मैं सक्षम हूं इस घमण्ड में फस जाता इन्सान
    अति तो सदा रही वर्जित रखो आत्म -विश्वास।

    महाभारत के रण में थी विशाल सेनाएं खड़ी
    पाण्डव थे कम कौरवों की सेना बहुत बड़ी
    जीता सत्य यही पाण्डवों को था अटूट विश्वास।

    रामदूत हनुमान भक्त थे राम के महाबली
    उनके आगे दानव सेना की न तनिक भी चली
    काम असम्भव किये सफल श्री राम का ले विश्वास।

    आज़ादी की नींव में जो सो गये बलिदानी
    सदियों तक गाई जाएगी उनकी अमर कहानी
    ले विश्वास स्वतंत्रता का लिख गये वे इतिहास।

    जब विश्वास साथ न दे जीवन होता बोझिल
    कोई राह दिखती नहीं टूट जाता है दिल
    जीवन की टूटती डोर को तब चाहिए विश्वास।

    खण्ड-खण्ड न हो आशा प्रचण्ड हो विश्वास
    मानव अपने शौर्य से लिख देता इतिहास।
    *******
    *स्व लिखित,मौलिक सृजन-
    *रमेशचन्द्र बोहरा
    *जोधपुर-३४२००५
    *राजस्थान।

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  15. #हिन्दीकाव्यकोश
    #टाइम_कोश
    #साप्ताहिक_काव्य_प्रतियोगिता
    #विषय-:विश्वास
    #शीर्षक-विश्वास
    #दिनाँक15_09_2023

    शब्द गहरा है ,अर्थ भी गहरा,
    जीवन का यही डोर है
    बंध जाये तो तर जाये जीवन
    टुटे तो पड़ जाती गाँठ
    विचार कर मानव,तू किस ओर है?
    बनने में लग जाती सदियाँ,
    इस विश्वास के डोरी को
    नाजुक धागों से यह बनता,
    ना होता यह कठोर है
    सहज कृत्य नहीं इसे निभाना,
    इसके दोनों तरफ ओर-छोर है
    शब्द गहरा....
    जीत लेना विश्वास किसी का
    यह काम इतना आसान नहीं
    जिसने भी जीता विश्वास जगत का
    समझो जग का भगवान वही
    विश्वास ही सत्य सनातन का मार्ग दिखलाता
    भक्त और ईश के बीच का भेद यही
    विश्वास अगर स्व पर हो जाये तो
    तो समझो कोई मंज़िल दुर्गम नहीं
    चाहे पथकम क्यूँ ना हो कंटको से भरा
    विश्वास अटल हो कुछ कर गुजरने का
    तो सफलता पग चुमेगी कभी ना कहीं
    इसके लिए हो धीरज,तनिक
    क्योंकि चारों ओर अफरा-तफरी,शोर है
    शब्द गहरा .....
    सत्येंद्र कुमार गुप्ता
    बैजनाथपुर ब पोस्ट सलका
    विकासखंड भैयाथान सूरजपुर छत्तीसगढ़

    जवाब देंहटाएं
  16. नमन मंच
    #हिन्दी _काव्य _कोश
    दिनांक - 15/9/2023
    वार - शुक्रवार
    विषय- विश्वास

    तुम सा संसार मे है कोई और कहाँ
    विश्वास न हो तो मै भी यहाँ तु भी यहाँ
    तुझमे वो दम है,की सारी दुनियाँ झुक जाए
    जमीन तो क्या है चाहे तो आसमाँ छु जाए
    खुद पर हो गर विश्वास तो वक्त से लड़ जाए।।

    जीवन के कुछ अपने, सपने पुरे करने है
    सागर से मोती लाने है ,तो लाने ही है
    हर मुश्किले,तेरी मेहनत के आगे झुकते है
    जीवन पर छाये बादल एक दिन छटते है
    ऐसा कुछ नहीं जो कर न सके ,या कर न पाए
    खुद पर हो विश्वास गर तो वक्त बदल जाए ।।

    तुझमे अब भी तुफानों सा उन्माद भरा
    लगा हो चाहे मुझ पर वक्त का पहरा
    तुम वक्त के आगे चलते हो,चिंता क्या करते हो
    सब कहते है किस्मत चाहो किस्मत बदल जाए
    खुद पर हो विश्वास गर वक्त बदल जाए। ।

    उर्मिला पुरोहित
    उदयपुर, राजस्थान

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  17. शिवाकान्त शुक्ल15 सितंबर 2023 को 8:48 pm बजे

    हिंदी_काव्य_कोश#tmkosh
    विषय-"विश्वास"
    ***************
    यदि मन में विश्वास रहेगा,
    सभी काम कर पाओगे।
    जीवन के पथ पर चलकर,
    सदा अमर हो जाओगे।।१
    आशा ही विश्वास बुलाए,
    कार्यक्षेत्र की ओर बढ़ाए।
    जहां निराशा आ जाती,
    वह मन का विश्वास भगाए।।२
    जितने तुम मजबूत रहोगे,
    उतना ही विश्वास बढ़ेगा।
    कभी नहीं असफल होंगे,
    विजय का रथ परवान चढ़ेगा।।३
    ज्ञानवान व शक्तिमान बन,
    विश्वास सदा मन में रखना।
    कभी नहीं असफल होंगे,
    जीवन के सब रस चखना।।४
    जो भी जग में सफल रहे,
    मन में एक विश्वास रहा।
    जो मन में ठाना, कर डाला,
    हो ना सकेगा, नहीं कहा।।५
    जो कभी नहीं विश्वास तोड़ता,
    उसे पर ही विश्वास करें।
    विश्वास नहीं करने वाले,
    सभी कामना नाश करें।।६
    विश्वास हमारा अडिग सेतु,
    जो संबंधों को जोड़े,
    एक बार जुड़ जाने पर,
    कोई, कभी कैसे तोड़े?७
    विश्वास हमारी प्रबल शक्ति,
    पत्थर में भगवान दिखाए।
    यदि तेरा विश्वास खो गया,
    ईश्वर को पाषाण बनाए।।८
    शिवाकान्त शुक्ल
    रायबरेली (उत्तर प्रदेश)
    मौलिक,स्वरचित,अप्रकाशित
    १५-०९-२३

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  18. #हिन्दी_काव्य_कोश
    #tmkosh
    #दिनांक- 15/9/2023
    #विषय- विश्वास

    जब हारकर थककर बैठ सोचता है मन,
    फिर तिमिर के द्वार रक्षक बनता है तन।
    तब बंद डिब्बे में अगर कोई टिमटिमाता है-
    तो वह है विश्वास जो दूर करता उलझन।।

    चल खड़ा हो पैर यदि लग गई कोई ठोकर,
    भर गया हो दर्द के आँसू यदि नैनों में रोकर।
    तब तम के बीच चमकता है जुगनू की तरह-
    वह है विश्वास करता मन को स्वच्छ धोकर।।

    अंधा बन जा झुका मन तम द्वार मस्तक,
    भूखी प्यासी होकर इच्छा दे उठी दस्तक।
    ऐसे में तम के चक्रव्यूह से निकला बाहर-
    वह है विश्वास,आशा की बनकर पुस्तक।।

    अँधेरों के इशारे और सच्चाई लगी घबराने,
    रोशनी बंद होकर बोतल में लगी टिमटिमाने।
    ऐसे में उदित होता है उर से एक सूरज बन-
    है विश्वास जिस पर जीवन लगा मुस्कुराने।।

    रचनाकार - मनोरमा शर्मा मनु
    स्वरचित एवं मौलिक
    हैदराबाद
    तेलंगाना

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  19. विषय:-विश्वास

    उच्च पराकाष्ठा की थाह रख करनी है अगर कोई बात,
    बस कदम बढ़ाना होगा करनी होगी एक नई शुरुआत,

    न आकिंचन न अविचलन न ही रखना कोई संशय,संदेह,
    परम् होगा जो विश्वास दे पाओगें हर समस्या को मात,

    प्रतिद्वंद्वी से न डर निडर हो रख कदमों की तू चाप को,
    रख गिद्ध दृष्टि एकाग्र कर मन एक वार में कर प्रतिघात,

    खिलेंगे तेरे भी उजड़े गुलशन की कलियों में पुष्पहार,
    बस करना तो हर वक्त बुलन्द हौसलों से ही मुलाकात।

    स्वरचित मौलिक रचना
    निशा कमवाल
    अध्यापिका
    दिल्ली

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  20. विषय:विश्वास

    धर्म का आधार है स्वच्छ समाज का स्थापक है
    प्रेरणादायक हितैषी अध्यापक है
    हर रिश्ते की बुनियाद है
    सांसों से सांसों की डोरी करती फ़रियाद है
    सफलता का उद्गम स्थल है
    सत्यता का परिचायक आत्मा का बल है
    मोक्ष का द्वार है आईना दिखाता किरदार है
    विपत्ति में साथ देता अद्भुत चमत्कार है
    ईश्वर से साक्षात्कार कराता है
    अंतर्मन पुलकित कर जाता है
    विष और आस का मिलन पाषाण में प्राण फूंक जाता है
    पुरानी गाथाओं में अलंकृत प्रमाण
    सावित्री ने बचाए सत्यवान के प्राण
    होलिका दहन हुई बची प्रह्लाद की जान
    वैज्ञानिकों के अटूट विश्वास से पहुंचा चंद्रमा पर चंद्रयान
    सफल हुआ जी-20 शिखर सम्मेलन बढ़ा भारत का मान
    प्रेम,विश्वास और सकारात्मक सोच देती उत्तम ज्ञान!!!

    प्रीति कपूर
    शालीमार बाग ,दिल्ली
    स्वरचित मौलिक अप्रकाशित रचना

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  21. बीरेन्द्र सिंह राज16 सितंबर 2023 को 5:27 am बजे

    #हिन्दी_काव्य_कोश#tmkosh
    साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता
    विषय:विश्वास
    दिनांक:15/09/2023
                       विश्वास
    प्यारे बच्चों ,तुम सब महान  बनोगे,
    माता- पिता ,गुरू का सम्मान करो।
    एक दिन,दुनिया में तुम नाम करोगे,
    भारतीय गुरूकुल का विश्वास करो।

    पढ़- लिख देश सेवा करना अच्छा,
    जिस पथ जाना उसका ध्यान करो। 
    भारत का तिरंगा चाँद पर लहराया,
    देश के दम- खम पर विश्वास करो।

    सत्य जान,भला-बुरा कहना अच्छा,
    दोस्त-दुश्मन की तुम पहचान करो। 
    बुरा,देखना,सुनना,बोलना भी गल्त,
    बापू के सत् कथन पर विश्वास करो।

    ज्ञान का प्रचार विश्व में करना अच्छा,
    पहले विद्या जरूरी,तुम विश्वास करो।
    एक सच्चा से देश अच्छा नहीं बनता,
    सबका सच्चा होना सत्य विश्वास करो।

    भारत की हस्ती बदल रही धरती पर,
    ख़ुद को बदलना जरूरी विश्वास करो।
    बच्चों,देश के विकास में हाथ बटाओ,
    अपनी संस्कृति पर तुम विश्वास करो।

    बीरेन्द्र सिंह राज ह
    नोएडा
    गौतम बुद्ध नगर
    उत्तर प्रदेश

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  22. # हिंदी काव्य कोश
    # tmkosh
    # 16-9-2023
    # विश्वास
    स्वरचित व मौलिक
    ********************
    आशा-विश्वास का द्वार खोल, चल स्वर्णिम भोर की ओर

    अज्ञानता के तम को दूर कर, तू शीश उठाकर चलता चल।

    जीवन पथ पर भ्रमित न हो अटल-अचल कायम रहकर,

    आत्मविश्वास हिय में भर, फिर सुगम राह बनाता चल।

    जोशपूर्ण बाहें खोल आने वाले नव कल का स्वागत कर,

    सद्कर्म से रौशन कर, मानवता का फर्ज निभाता चल।

    मनोबल ऊंचा रख सदा, बढ़ उज्ज्वल भविष्य की ओर

    ज्ञान-प्रकाश प्रज्ज्वलित कर,सत्य की बाहें थामता चल।

    उमंग-उत्साह लेकर चल, जीवन अग्निपथ का है सफर,

    अटल व प्रबल आत्मविश्वास संग तू लक्ष्य हासिल कर।

    बन सदा अर्जुन-कर्ण सा योद्धा जीवन के कुरुक्षेत्र पर,

    जीवन भी होता सोने सा जो निखरता अग्नि में तपकर।

    * अर्चना सिंह जया, गाजियाबाद उत्तर प्रदेश

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