Hindi Poem On Trust | विश्वास पर 5 प्रसिद्ध कविता/विश्वास पर उत्कृष्ट हिन्दी कविता

 

विश्वास- रेखा ड्रोलिया

प्रियतम मेरे

न तोड़ना तुम मेरा विश्वास

बसे तुम मेरी हर श्वास

तुम बिन भाए न भोग विलास

खो बैठी सुध,विरह के उच्छ्वास

कैसे काटूँ एकाकी जीवन बनवास

पीड़ा का डेरा, क्रंदन का निवास

कंपित अधरों पर ठहरी मूक प्यास

दृग पुलिनों पर टिकी मिलन आस

काँच से टूटे सपनों का आवास

क्या मेरी वेदना का तनिक आभास?

क्षणिक तुम जो आ जाते पास

भर जाता उर में उल्लास

उड़ती मैं ज्यूँ श्वेत कपास

उन्माद भरे प्रणय का मधुमास

किलकित मन चितवन विलास

पुलकित धड़कन छू मादक निश्वास

मृदु मिलन हमारा रचता इतिहास

प्रियतम मेरे न तोड़ना तुम मेरा विश्वास।

- रेखा ड्रोलिया
  कोलकाता


विश्वास- इंजी. हिमांशु बडोनी "दयानिधि"

जीवन में कभी न टूटने देना, आत्मविश्वास की प्रबल डोर।

इसे बचाने का प्रयास ही, खींचे सफलता को अपनी ओर।

चाहे सारा जग विमुख हो, पर तुम न छोड़ना अपना छोर।

हर मुश्किल से पार लगोगे, यह समय परखे तुम्हारा ज़ोर।


तुम्हारी खुशियाँ लूटने आऍंगे, दुःख-विपदा के काले चोर।

तुम गर्जन से डरना नहीं, नाचना बूॅंदों के संग बनकर मोर।

विषमता में विजेता बनो, न रहो लाचार, न बनो कमज़ोर।

यूँ बजे उठे जीत का डंका, जिसकी ध्वनि गूँजे चारों ओर।


काली रात का सामना करो, इसके बाद सुनिश्चित है भोर।

यूँ रात का सन्नाटा टूटेगा, प्रकाश में सारे पक्षी करेंगे शोर।

जीवन में एक लक्ष्य के पीछे, अनेक लोगों में लगेगी होड़।

या जीतना या सीखना, हारे तो साहस को लेना तुम जोड़।


कभी समय एक-सा न रहे, अब उसका, तब उसका दौर।

इमारतें ढहीं व शोहरतें बहीं, पर न बदला समय का तौर।

जिसका अटल हो विश्वास, उसे समय बनाता है सिरमौर।

जो मन से हारा उसे समय ने नकारा, कहा: है कोई और?

इंजी. हिमांशु बडोनी "दयानिधि"
पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखण्ड


विश्वास- माया पाण्डेय

विश्वास पत्थर को भी भगवान बना देता है।

विश्वास निराशा में भी आस जगा देता है।

घनघोर अंधेरी रात के उस पार चमकता सूरज है।

यह आस है विश्वास।

विश्वास है तो सब कुछ है, वरना कुछ भी नही।

डॉक्टर की दवा भी तभी काम करती है,

जब मन में हो विश्वास

ईश्वर जो भी करेगा हमारे हित में ही करेगा,

आशा से भरा यह भाव है विश्वास।

पिता की उंगली थामे बच्चा भीड़ में भी नही डरता,

मेरे सिर पर पिता का हाथ है, छाया है,

अपनेपन से भरा यह भाव है विश्वास।

मेरा आत्म विश्वास अखंडित रहे, विपत्ति में भी न घबराऊं ,

दु:ख में भी मुस्कुराऊं,यही भाव है विश्वास।

माया पाण्डेय
उरई, उत्तर प्रदेश 


विश्वास- अर्चना सिंह जया

आशा-विश्वास का द्वार खोल, चल स्वर्णिम भोर की ओर

अज्ञानता के तम को दूर कर, तू शीश उठाकर चलता चल।

जीवन पथ पर भ्रमित न हो अटल-अचल कायम रहकर,

आत्मविश्वास हिय में भर, फिर सुगम राह बनाता चल।

जोशपूर्ण बाहें खोल आने वाले नव कल का स्वागत कर,

सद्कर्म से रौशन कर, मानवता का फर्ज निभाता चल।

मनोबल ऊंचा रख सदा, बढ़ उज्ज्वल भविष्य की ओर

ज्ञान-प्रकाश प्रज्ज्वलित कर,सत्य की बाहें थामता चल।

उमंग-उत्साह लेकर चल, जीवन अग्निपथ का है सफर,

अटल व प्रबल आत्मविश्वास संग तू लक्ष्य हासिल कर।

बन सदा अर्जुन-कर्ण सा योद्धा जीवन के कुरुक्षेत्र पर,

जीवन भी होता सोने सा जो निखरता अग्नि में तपकर।

अर्चना सिंह जया
गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश


विश्वास- मनोरमा शर्मा मनु

जब हारकर थककर बैठ सोचता है मन,

फिर तिमिर के द्वार रक्षक बनता है तन।

तब बंद डिब्बे में अगर कोई टिमटिमाता है-

तो वह है विश्वास जो दूर करता उलझन।।


चल खड़ा हो पैर यदि लग गई कोई ठोकर,

भर गया हो दर्द के आँसू यदि नैनों में रोकर।

तब तम के बीच चमकता है जुगनू की तरह-

वह है विश्वास करता मन को स्वच्छ धोकर।।


अंधा बन जा झुका मन तम द्वार मस्तक,

भूखी प्यासी होकर इच्छा दे उठी दस्तक।

ऐसे में तम के चक्रव्यूह से निकला बाहर-

वह है विश्वास,आशा की बनकर पुस्तक।।


अँधेरों के इशारे और सच्चाई लगी घबराने,

रोशनी बंद होकर बोतल में लगी टिमटिमाने।

ऐसे में उदित होता है उर से एक सूरज बन-

है विश्वास जिस पर जीवन लगा मुस्कुराने।।

मनोरमा शर्मा मनु
हैदराबाद, तेलंगाना