तुमसे ही है सावन मेरा तुमसे ही जीवन रसधार
तुम बिन मेरा जीवन सूना कैसे गाएँ गीत मल्हार
तुम होते साजन सावन के गीत मधुर हम गा लेते
तेरे संग जीवन के कितने नित नव स्वप्न सजा लेते
आ जाओ हे प्रियतम मेरे मन से तुझको रहा पुकार
तुम बिन मेरा जीवन सूना कैसे गाएँ गीत मल्हार
मधुर मिलन अभिलाषा से ही तन मन भीगा जाता है
और तुम्हारा पावन चितवन अंतर भाव जगाता है
तुम मेरा मधुवन हो प्रियवर जीवन की तुम मधुर बहार
तुम बिन मेरा जीवन सूना कैसे गाएँ गीत मल्हार
कब से बाट निहार रहा हूं लिये मिलन की मैं शुभ आस
बीच भंवर में मुझको छोड़ा बीत गया सारा मधुमास
अखियाँ तुझे निहार रहीं हैं अपलक ताकें देहरी द्वार
तुम बिन मेरा जीवन सूना कैसे गाएँ गीत मल्हार
न आओ तो बैठ अकेले गाते रहना गीत मल्हार
पर प्रांजल सा न पाओगे तुम जीवन भर प्यार अपार
इसीलिये आ जाओ प्रियतम दोउ कर जोर करत मनुहार
तुम बिन मेरा जीवन सूना कैसे गाएँ गीत मल्हार
~आनन्द श्रीवास्तव "प्रांजल"
जिला शिवपुरी (मध्यप्रदेश)
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भय से है सहमा संसार
कैसे गाए गीत मल्हार |
मन आंगन पर पहरा है |
बस सन्नाटा पसरा है |
कैद खुशी और हंसी हुई
कैसे गाएं गीत मल्हार |
मंदिर पूजन दर्शन बंद |
शंखनाद घंटी स्वर मंद |
घोर उदासी है छाई ,
कैसे गाएं गीत मल्हार |
झूलों पर ना पेंग बढ़े |
मेहंदी चूड़ियां ना खनके |
बचपन कागज नाव नहीं,
कैसे गाएं गीत मल्हार |
हास और परिहास गया |
त्योहारों का आभास गया |
घेवर की मिठास गई ,
कैसे गाएं गीत मल्हार |
सूने बाग बगीचे हर |
रूठे है वीणा के स्वर |
अजनबियों सी दूर हँसी,
कैसे गाएँ गीत मल्हार |
हुआ "मृदुल" बेबस जीवन |
व्यथा दर्द से मरता जन |
फैली विकट महामारी ,
कैसे गाएँ गीत मल्हार |
यमुना के तट सूने है |
खोई प्रीत किलोलें है |
विपति हरो हे गिरधारी |
कैसे गाएँ गीत मल्हार |
~मंजूषा श्रीवास्तव "मृदुल"
लखनऊ(उत्तर प्रदेश)
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कैसे गाएँ गीत मल्हार।
चिढ़ाते दर्पण में शृंगार।।
लगता सूना-सूना आँगन।
यादों में तड़पे ये तन -मन।
पिया गए परदेश सखी रे,
दुश्मन-सा लागे ये सावन।
प्रणय-राग अब नहीं छेड़ते,
पायल के झनकार।
कैसे गाएँ गीत मल्हार।।
कजरी जैसे मुँह चिढ़ाती।
विरह -आग में मुझे जलाती।
नींद भई ज्यों बैरन मेरी,
रात-रात भर पास न आती,
जिस झूले पर था झूलता मन,
टूट गए सब तार।
कैसे गाएँ गीत मल्हार।।
बिंदी चूड़ी,मेंहदी, कंगन।
सावन को करते मनभावन।
जिसका पी परदेस बसा रे,
सोचो उसका कैसा जीवन?
ऊपर से नित ताना मारे,
सखियाँ नित्य हजार।
कैसे गाएँ गीत मल्हार।
~ डॉ मनोज कुमार सिंह
गोरखपुर, (उ.प्र)
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कैसे गाएँ गीत मल्हार
बरसा न इस सावन प्यार
रंग सावन के नज़र न आएँ
भीगी अँखियाँ देख न पाएँ
तडप बढ़ाए बरखा फुहार
कैसे गाएँ गीत मल्हार
सूना है मेरा घर ऑंगन
कैसे नाचे मोरन संग तन
बिन प्रियतम सूना संसार
कैसे गाएँ गीत मल्हार
शीतल बूँदें लगाएँ अग्न
चुप है पायल की छन- छन
वर्षा संग बरसे अश्रुधार
कैसे गाएँ गीत मल्हार
कौन झूले,कौन झुलाए
खाली झूला मन तड़पाए
सावन लाया दर्द उपहार
कैसे गाएँ गीत मल्हार
~(श्रीमती) पवन जैन
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चहुँ ओर है हाहाकार
कैसे गाएँ गीत मल्हार ?
क्रोधित हैं नदियां सारी
क्षति हुई जब इनको भारी
कुदरत ने तब ठानी रार
कैसे गाएँ गीत मल्हार ?
कहीं कोरोना पैर पसारे
कितनें जीवन इनसे हारे
करती मृत्यु सकल प्रहार
कैसे गाएँ गीत मल्हार ?
दुश्मन देश अड़े अपने पर
घुसना चाहें घर के भीतर
घात लगा ये करते वार
कैसे गाएँ गीत मल्हार ?
जयचंदों की कमी नही है
इनकी चालें थमी नहीं हैं
छुप कर बैठें हैं गद्दार
कैसे गाएँ गीत मल्हार ?
~उमा विश्वकर्मा
कानपुर उ.प्र.
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