Poem on women empowerment in hindi नारी सशक्तिकरण पर हिन्दी कविता हुंकार- डॉ अंजुला सक्सेना
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बहुत हुआ चंदन वंदन! अब हर बाला चण्डी बन जाये , पी ले रक्त - बीज का प्याला , दे श्राप सती फट जाए धरा, हर नेह माँ, बेटी,वधू , बहिन समा जाए, थम जाएं सृजन धंसी सिसकियां सैलाब बनें, लहरों से उठें लपटें गिन गिन अब देह पिशाचों को जलाया जाए! मद के धुप्प धूंध में गुम है आदमीपन, सियासी गलियारों में गज़ब तिलस्म है, बंधी थी आंखों पर पट्टी अब तो कान भी बंद हैं , बेबात के मुद्दे पल रहे, हर प्रश्न अजगर से पड़े हैं ! मशालें जलायी जाएं!! सिरे से शरीफ बस्तियों को खंगाल श्वेत गिरगिटों को चुन - चुनकर बाहर निकाला जाए ! अब बात नहीं, संवाद नहीं, विवाद भी नहीं केवल पैनी धार कलम, कृपाण कटार चलें त्राहि त्राहि मचे, चाहे मुण्डों पर मुण्ड गिरें जिह्वा काट हड्डियाँ रीढ़ की तोड़ी जाएं, शस्य -श्यामला धरिणी रक्त- रंजित हो अट्टहास करे, सहम जाए गगन, हो सके तो हो चिंतन, मनन, मंथन ! अब राम नहीं कृष्ण नहीं ,यक्ष को बुलाया जाए ! जो अजगर को भेद सके ठहरे अवश्य यहां ! अब सीता नहीं राधा नहीं ! केवल हुंकार भरो चण्डी हुंकार भरो महाकाली !! सबसे ज्यादा पढ़ी जा रहीं रचनायें :)
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