Best Hindi Poem On Bhrashtachar |
भ्रष्ट आचरण दुराचार व्यक्तित्व धवल आकाश हुआ
शासन और सिंहासन पर अब चोरों का ही वास हुआ/1/
राम बने या रावण राजा दुर्योधन या युधिष्ठिर
चीर हरण जनता का ही हर युग में देखो खास हुआ/2/
महिमामंडित हुए वही नाखून कटा जो शहीद हुए
फिक्र वतन की करने वालों का अस्तित्व ही नाश हुआ/3/
ख्वाब चढ़े परवान वही जिनको सीढ़ी उपलब्ध हुई
संघर्षों में जीने वालों का हर सपना काश हुआ/4/
बे घर बार भटकते देखे राहों में कितने जीवन
निर्जीव के हक बाग बगीचे प्रतिष्ठान शिलान्यास हुआ/5/
जनता की आवाज़ बने जो किस पर करें भरोसा अब
जनता के कांधे चढ़ जो पहुंचा वो कुर्सी दास हुआ/6/
घर उजड़े दीवार ढही सौहार्द समाजिक ढांचे की
मजहब के झगड़े में अक्सर मानवता का ह्रास हुआ/7/
अपराधी बेख़ौफ़ हैं घायल सिस्टम वेंटिलेटर पर
अच्छे दिन का हर जुमला अब लगता है इतिहास हुआ/8/
- 50 कालजयी रचनायें जिनपर समय की धूल नहीं जमी
- बशीर बद्र के 100 चुनिंदा शेर
- कृष्ण की चेतावनी/रामधारी सिंह दिनकर
- सामने का वह सब/विनय दुबे
- हे भारत के राम जगो मैं तुम्हें जगाने आया हूँ / आशुतोष राणा
- हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए/दुष्यंत कुमार
- हम कौन थे! क्या हो गये हैं/मैथलीशरण गुप्त
- मैं चमारों की गली तक ले चलूँगा आपको/अदम गोंडवी
- मधुशाला/हरिवंशराय बच्चन
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