भ्रष्टाचार पर बेहतरीन हिन्दी गजल/मुकेश सिंघानिया || Best Hindi Gazal On Corruption

 

Best Hindi Poem On Bhrashtachar


भ्रष्ट आचरण  दुराचार  व्यक्तित्व  धवल आकाश हुआ

शासन और सिंहासन पर  अब  चोरों का ही वास हुआ/1/


राम बने   या    रावण     राजा   दुर्योधन  या  युधिष्ठिर

चीर हरण  जनता का ही  हर युग में  देखो  खास हुआ/2/


महिमामंडित  हुए वही   नाखून  कटा  जो  शहीद हुए

फिक्र वतन की करने वालों का अस्तित्व ही नाश हुआ/3/


ख्वाब चढ़े  परवान  वही  जिनको  सीढ़ी उपलब्ध हुई

संघर्षों में   जीने वालों  का    हर  सपना   काश  हुआ/4/


बे घर बार   भटकते   देखे      राहों में   कितने जीवन

निर्जीव के हक बाग बगीचे  प्रतिष्ठान शिलान्यास हुआ/5/


जनता की आवाज़ बने जो  किस पर करें भरोसा अब

जनता के  कांधे चढ़  जो   पहुंचा वो  कुर्सी दास हुआ/6/


घर  उजड़े  दीवार ढही   सौहार्द   समाजिक  ढांचे की

मजहब के  झगड़े में  अक्सर  मानवता  का ह्रास हुआ/7/


अपराधी  बेख़ौफ़ हैं    घायल    सिस्टम  वेंटिलेटर पर

अच्छे दिन का हर जुमला अब लगता है इतिहास हुआ/8/



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