हिन्दी कविता- आखिरी सवारी/मंजूषा || Best Hindi Poem On Life- Akhiri Savari

 

Best Hindi poem on life


आख़री सवारी


हे ईश्वर भाग्य विधाता मुझको, इतना दे तू वरदान।

जाऊं जब जग छोड़ के,हो चार कंधो पर सवार।।


पहला कंधा हो बड़े भाई का,जिसने किया प्रेम अपार।

पिता जैसा दुलार किया,जो बना मेरा पहरेदार।।


दूजा कंधा हो पति का,जो मेरा जीवन आधार।

बंधा है जो मेरे जीवन से,जो मेरा संसार।।


तीसरा कंधा हो देवर का,जिससे मुझे बहुत दुलार।

कभी दोस्त,कभी भाई,कभी जैसे साथी कलाकार।।


आख़री कंधा हो बेटे का,जो मेरा पूर्ण हक़दार।

जिसने महत्त्व दिया जीवन को, किये मेरे सारे सपने साकार।।


ऐसी हो आख़री सवारी, जैसे कोई शाही सूबेदार।

जीवन पथ का लक्ष्य यही, खुशी-खुशी छोड़ूँ संसार ।। 



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