Best Hindi Poem On Rakshabandhan |
श्रावणी यही रक्षाबंधन,
बहनों की गौरव गाथा है।
संकल्पबद्ध भाइयों का ,
ऊंचा उठ जाता माथा है।।
इंद्राणी ने इंद्र को बांधा,
बलि को लक्ष्मी ने बांधा था।
कृष्ण द्वारिका से आए तो,
द्रोपदी ने पल्लू बांधा था।।
कर्णावती, हुमायूं को बांधी,
अपनी रक्षा का भार दिया।
तब से आ रही यह परंपरा,
सबने इसका सम्मान किया।।
मां भारती की अदृश्य राखी
बलिदानों में तब्दील हुयी।
कई वीर फांसी पर झूले,
जलियांवाले में धार बही ।।
लोहू से लोहित भारत मां,
करुणा से लोहित आनन।
बहनें, बेटियां सभी दुख में,
ज्यों धूं-धूं जल उठता कानन।।
बलिदानों से मिली आजादी-
हित, बहनों ने राखी बांधा है।
विप्रों ने जन-धन रक्षाहित,
जन-जन को राखी बांधा है।।
सप्तर्षि पूजित होते इसदिन,
गौ,गंगा,गायत्री पूजी जाती हैं।
यज्ञोपवीत धारण करके,
जनखुशियां मोद मनाती हैं।।
सीमा पर खड़े जवानों को,
बहनों ने बांधी है राखी।
भारत माता की रक्षाहित ,
संसार बना उनका साक्षी।।
आनंदविजय का मिल जाता,
मन मयूर खिल जाता है।
हर वर्ष श्रावणी के ही दिन,
जब रक्षाबंधन आता है।।
डॉ०विजयानन्द
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
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