हिन्दी कविता-माँ/पुखराज जैन पथिक || Best Hindi Poem On Mother by Pukhraj Jain Pathik


 तेरे एहसान का बदला, चुकाया जा नहीं सकता ।

 प्यार दिया इतना कि, भुलाया जा नहीं सकता।

 दुआओं से भरा आंचल, तेरे कदमों में जन्नत है।

 करिश्मा है तू कुदरत का, दिखाया जा नहीं सकता।


 तेरी ममता ने मुझको तो, बड़े नाजों से पाला है ।

 तेरे उपकार के बदले, रूलाया जा नहीं सकता।

 तेरे रहमों करम से ही, बुलंदी पाई है मैंने।

 तेरी रहमतों को फिर, गिनाया जा नहीं सकता।


 लहू से सींच कर मुझको, यह दुनिया भी दिखाई है।

 पिलाया दूध जो तुमने, जताया जा नहीं सकता।


पुखराज जैन पथिक 

उज्जैन,मध्य प्रदेश

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