शिक्षा रतन अनमोल है,
देती जीवन ज्ञान ।
शिक्षा सिखलाती हमें ,
कला, संगीत, विज्ञान ।।
शिक्षा घर रोशन करती ,
जग में बढ़ता मान ।
शिक्षा से ही मिटे सदा
मनुज हृदय अज्ञान ।।
रामायण औ बाइबिल ,
वेद,पुराण, कुरान।
दिखलाते सब पंथ सद,
कहते संत सुजान ।।
राजा हो या रंक हो ,
शिक्षा दृष्टि समान ।
सबका जीवन तम हरे ,
सबको दे गुण ज्ञान ।।
शिक्षा बुद्धि, विवेक दे ,
सभ्यता दे समाय ।
भले बुरे का बोध दे ,
होती सदा सहाय ।।
शिक्षा शारद वरदान है,
करे मनुज उत्थान ।
पशुता मिट,मानव बने,
जीवन बने महान ।।
बेटी सदा पढ़ाइये
है मौलिक अधिकार।
बेटी भी बन जायेगी,
कुल की तारन हार।।
~ वंदना चौहान
आगरा ,उत्तर प्रदेश
सरस्वती माँ का रूप है शिक्षा, स्वाभिमान की धूप है शिक्षा।
कुरान की आयत के जैसी,
वेदों का भी रूप है शिक्षा।
अवगुण हमारे हर लेती है, भविष्य उज्ज्वल कर देती है।
जीने की शैली सिखाती,
मन को निर्मल कर देती है।
राजा हो या रंक भिखारी,
सबके लिए समरूप है शिक्षा।
सरस्वती माँ का रूप है शिक्षा, स्वाभिमान की धूप है शिक्षा।।
अंधविश्वास मिटाती है,
और आत्म विश्वास जगाती है।
नकारात्मक सोच को मारे,
हमें सही मार्ग दिखलाती है।
शिक्षा हमें अमर बनाती, विजयश्री का स्वरूप है शिक्षा।.....
बाँटने से बढ़ जाये दोगुनी,
चुरा सके नहीं चोर, शकुनि।
देशों को विदेशों से जोडे,
दूरी चाहे हो जाये जितनी।
दुर्गुणों को दूर कर दे, चरित्र निर्माण की सूप है शिक्षा।
सरस्वती माँ का रूप है शिक्षा, स्वाभिमान की धूप है शिक्षा।
शिक्षा हमें अधिकार दिलाती, विज्ञान के राज बताती।
धरती से अम्बर तक का,
हमको ये भूगोल सिखाती।
सागर के रहस्य खोले,
निदानों का अभिरूप है शिक्षा
अनुशासन हमें सिखाती, नर से हमें नरोत्तम बनाती।
जीविका के साधन देती, पशु मानव का भेद बताती।
बाधाओं को हर लेती है, जीवन के अनुरूप है शिक्षा।
सरस्वती माँ का रुप है शिक्षा, स्वाभिमान की धूप है शिक्षा।
~ आई जे सिंह
दिल्ली
शारदा की रश्मियों से इस धरा पर
चहुँ ओर अज्ञान तिमिर मिटाना है
सुत व सुता सभी को शिक्षित कर
सबके उर में प्रज्ञा दीप जलाना है।
वागेश्वरी के स्पर्श से ही मनुष्य में
मेधा का मार्तण्ड उदित हो जाता है
उचित,अनुचित के सम्यक भेद में
स्वर्णिम पथ प्रशस्त हो जाता है।
विद्या की ज्योति में जब समस्त
मनुष्य का विवेकाधीन कर्म होगा
अनाचार से विमुख हो,
तब समस्त का भाव जन कल्याण परक होगा।
वैश्विक आपदा के इस क्रूर काल में
नेतृत्व ने प्रज्ञा दीप प्रज्ज्वलित रखा
स्कूल गमन से इतर दूरस्थ विधा में
हर घर को विद्या से उज्जवलित रखा।
सर्वत्र व्याप्त कुनीयती के कुपाश में
आबद्ध समाज,तभी मुक्त हो पायेगा
जब देश का प्रतिजन,प्रतिदिन,प्रतिघर
कटिबद्ध हो,ज्ञान का अलख जगायेगा।
~ योगेश कुमार सिंह
अलीगढ़, उत्तर प्रदेश
जीवन को अर्थ प्रदान करे,
पशुता का शमन कर दे।
शिक्षा वह शक्ति है जो
मानवता का उन्नयन करे।
शिक्षा पथ दर्शाती है,
सदाचरण सिखलाती है।
शिक्षा जीवन को नई दिशा दे,
सर्वहित भाव जगाती है।
केवल पुस्तक में नहीं मिलती,
ये सृष्टि के विस्तार में बसती।
शिक्षा मानव के उर भीतर,
ज्ञान ज्योति जगाती है।
साधारण को भी असाधारण,
करने की प्रतिभा इसमें हैं।
उर भीतर यदि उदित हो जाए,
महामानव कर जाती है।
जड़ मानव को भी विद्यत्व भाव दे,
वो जगगुरु बन जाता है।
शिक्षा जीवन में उतर सके,
तो जीवन कुंदन बन जाता है।
केवल विशेष के लिए नहीं है,
शिक्षा सबका अधिकार है।
रटने की यह कला नहीं ,
व्यवहारिकता का आधार है।
मात - पिता गुरु से मिलती ये,
जीवन पथ पर संग चले।
हर ठोकर पर ये साथ निभाए,
पल पल शिक्षा का स्रोत बहे।
~ कंचन वर्मा
शाहजहांपुर, उ.प्र.
पशु और मानव के बीच का
अन्तर है शिक्षा
शान्ति सुख और खुशहाली
का मंत्र है शिक्षा
शिक्षा वो नहीं जो अहं जगाये
असली शिक्षा वो है जो
सौहार्द भाईचारे और इंसानियत
का पाठ पढाये
नामुमकिन को मुमकिन करती
अंधविश्वास के तिमिर को हरती
आत्मविश्वास मन में भरती है
मानव का गौरव है शिक्षा
शिक्षा की कोई थाह नहीं
शिक्षा का कोई अंत नहीं
शिक्षा पाकर ही बनते
डाक्टर, इंजीनियर वैज्ञानिक
ज्ञान की चमक न फीकी होती
हमारी बुराइयों को धोती
समाज की अज्ञानता हरती
जीवन में इसका है ऊँचा स्थान
इससे ही मिलता समाज मे सम्मान
वेदों का सार है शिक्षा
रामायण का आधार है शिक्षा
आत्म मंथन की अलख जगाती
मनुज का सर्वांगीण विकास कराती
ऐसा हो स्वरूप शिक्षा का
जन जन मे उत्सुकता जागे
हर कोई इसे हासिल करने को भागे
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