हिन्दी काव्य कोश- पुस्तक


सभ्यता का पालना, 
ज्ञान का भण्डार है
जो मिला अब तक हमें,
 सब की पुस्तकें आधार है।
भूगोल से परिचित कराया
इतिहास सँजोता रहा
विज्ञान का विधान रच
समय पर शब्द बोता रहा
अज्ञानता पर ज्ञानता का
कलम से  इक प्रहार है
जो मिला अब तक हमें,
 सब की पुस्तकें आधार है।
आईना बन समाज का
सबको राह दिखाता रहा
शब्द-शब्द जोड़-जोड़
युग एक बनाता रहा
नाटक,कहानी, काव्य का
यह विविध प्रकार है
जो मिला अब तक हमें,
 सब की पुस्तकें आधार है।
ज्ञान ही नहीं अपितु
आनन्द का भी मन्त्र है
वेद,कुरान ,बाइबिल
जैसा कई ये ग्रन्थ है
चन्द पन्नों में सीमित है
 पर स्वयं में इक संसार है
जो मिला अब तक हमें,
 सब की पुस्तकें आधार है।
भूत का प्रहरी यही
भविष्य का श्रृंगार है
जो नहीं कहा गया
वह मनुज विचार है
जो मिला अब तक हमें,
 सब की पुस्तकें आधार है।

~ देवेश कुमार पाण्डेय
कुशीनगर, उत्तर प्रदेश

जीवन पुस्तक हुई पुरानी,  
धूमिल होते सुंदर अक्षर  ।
पीले पड़ते पृष्ठ दिनों दिन, 
सुघड़ आवरण होता जर्जर ।
व्यथा,वेदना दीमक प्रतिदिन, 
रंध्र युक्त पृष्ठों को करते ।
सूक्ष्म कीट चिंता व्याधा के, 
दुर्लभ प्राण ग्रंथ को चरते ।
विगत पृष्ठ जब- जब पलटे हैं , 
सुनी क्षीण आहत ध्वनि मर्मर ।
नव हस्ताक्षर नवल सर्ग नित, 
नूतन पृष्ठ समाहित होते ।
नित स्कंध नए पोथी में, 
नव अध्याय सृजित नित होते ।
खंड-खंड गाथा युग-युग की, 
उल्लेखित आजन्म निरंतर ।
मानव स्वयं रचयिता भी है, 
मानव स्वयं कथा का नायक ।
सब सुख़-दुख का स्वयं प्रणेता,
निज कृत कर्म शुभाशुभ दायक ।
स्वयं रची पटकथा ग्रंथ की, 
जैसी है सुखकर या दुखकर ।

 ~ संजीव शुक्ला 'रिक़्त'
     जबलपुर, म.प्र.

ज्ञान की प्यास हो तो बुझाती हैं ,
अज्ञान के तमस को मिटाती हैं ,
ये  पुस्तकें ही तो हैं
जो हमें इंसान बनाती हैं।
ज्ञान  सिखाती हैं कभी विज्ञान सिखाती हैं ,
कभी धर्म अधर्म का बोध कराती हैं ,
ये पुस्तकें ही तो हैं 
जो हमें वरदान दिलाती हैं  ।
कभी गीता का उपदेश हैं ,
कभी प्रेम का संदेश हैं ,
ये पुस्तकें ही तो है,
जो हमे महान बनाती हैं।
कभी प्रभु की भक्ति हैं,
कभी मन की शक्ति हैं ,
ये पुस्तकें ही तो हैं ,
जो हमे बलवान बनाती हैं ।
इनसे बड़ा मीत न कोई ,
इनसे बढ़कर जीत न कोई ,
ये पुस्तकें ही तो हैं ,
जो हमें सम्मान दिलाती हैं ।

~ नितेश कुमार
फर्रुखाबाद उ०प्र०

पुस्तक सदा संग धरो, और पढ़ो सब कोय ।
पुस्तक पढ़ने से भला ,सदैव सबका होय।।
शब्द शब्द को जोड़िके ,लीन्हे वाक्य  बनाय ।
वाक्य वाक्य को जोड़िके ,पुस्तक लिए बनाय।।
पुस्तक रखिए साथ में ,सदा बढ़ाए ज्ञान ।
जब आए मुश्किल घड़ी ,दूर करे व्यवधान।।
पुस्तक पुस्तक खोजिए ,भरा पड़ा है ज्ञान।
 पुस्तक गुण की खान है ,बात लीजिए मान।।
पुस्तक में गुण बहुत है, पुस्तक बड़ी महान ।
पुस्तक में ही समाया जग का सारा ज्ञान।।
पुस्तक में गुण बहुत है ,कितना करूं बखान 
कलम मेरी सक्षम नहीं , कैसे करूं गुणगान।
पुस्तक से ही होत है ,गुरु भी ज्ञान प्रवीण ।
बिन पुस्तक के तो सभी, होते हैं गुणहीन।
पुस्तक  में मिलता सदा , गुण - दोष और ज्ञान।
 वही ग्रहण करना सदा, जो उपयोगी जान।।
कितना भी रट लीजिए, पाठ जात है भूल।
पुस्तक फिर- फिर देखिए ,साफ कीजिए धूल।।
अच्छी बातें  लिखिए सदा, पुस्तक  लेव छपाय ।
वरना एक दिन आएगा , जाए सभी भुलाय।।
पुस्तकों में है भरा ,विश्व ज्ञान भंडार ।
स्थिर चित्त हो खोजिए ,संभावना अपार।।

~ आराधना शुक्ला  
अयोध्या, उत्तर- प्रदेश 

अज्ञान के तिमिर से उबार करके, 
ज्ञान का प्रकाश भरती हैं पुस्तकें 
पुस्तक पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती, 
अध्ययनशीलों  की मित्र हैं पुस्तकें |
विद्वान,सभ्य,ज्ञानी ,विवेकी बनाकर
अच्छे बुरे का बोध कराती हैं पुस्तकें|
समय का सदुपयोग कराकर,
आत्म निर्भर हमें, बनाती हैं पुस्तकें |
संभाल कर रखनी हैं हमें ये,
सरस्वती का वास होती हैं पुस्तकें |
विद्या की देवी होती हैं ये,
बुद्धि,विवेक, जागृत करती हैं पुस्तकें |
कोई शौक से पढता है इनको, 
नि:स्वार्थ ,मार्ग दर्शन करती हैं पुस्तकें|
पुस्तकालयों में सुरक्षित रहती हैं ये,
मोबाइल,कंप्यूटर में भी होती हैं पुस्तकें ।
देश-विदेश की जानकारी देती हैं,
राष्ट्र प्रगति में भागीदार,होती हैं पुस्तकें ।
आत्मज्ञान,कर्तव्यपालन सिखाती हैं,
मनुजता का पाठ पढाती हैं पुुस्तकें |
संस्कृति,रीति,परंपरा संजोये रखती हैं
हर पीढी का ज्ञान कराती हैं पुस्तकें |

 ~ सरिता मैन्दोला
  पौड़ी गढवाल, उत्तराखंड

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