हिन्दी काव्य कोश~ देश मेरा

 
जहाँ गूँजते हैं नवनिर्माण के गीत।

ध्वनित होते माँ भारती के संगीत॥

समभाव से सिंचित है जो धरा।

ऐसे स्नेह से सुरभित है देश मेरा॥


जहाँ है कृष्ण और गीता का धाम।

जन्मे जहाँ मर्यादा पुरुषोत्तम राम॥

गुरुओं की सदवाणी से है जो भरा।

ऐसे सकल वैभव से पूरित देश मेरा॥


जहाँ रहते हैं विभिन्न धर्मों के लोग।

विभिन्न हैं संप्रदाय विभिन्न हैं बोल॥

ऐक्य भावना से होता जहाँ सवेरा।

हरित सौंदर्य से भरा ऐसा देश मेरा॥


 है जो संसार के देशों का सिरमौर।

षड्ऋतु अभिषेक कर पाते हैं ठौर॥

नदियों के मीठे जल ने जिसे घेरा।

दधीचि से त्यागियों से पूर्ण देश मेरा॥


बुद्ध,महावीर,शिवि,गांधी की धरती।

श्री प्रकृति जिससे दृष्टि नहीं हटती॥

अनंत त्यौहारों उत्सवों से है जो भरा।

जगतगुरु कहलाए वह है देश मेरा।।


~ मनोरमा शर्मा 

       हैदराबाद

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   है  जो   सबसे  श्रेष्ठ जगत में,

                 सारे    जग   से   न्यारा  है।

   सब देशों  में  श्रेष्ठ  देश यह,

                 भारतवर्ष  हमारा    है॥


   सिर पर पर्वतराज हिमालय,

                रजत मुकुट  सा सजता है।

   चरणों  में नित  सिंधु  झूमता,

                तेरे    चरण   पखरता    है॥

    देश  मेरा  हर भारतवासी  की,

               आँखों     का      तारा    है।

    सब   देशों  में  श्रेष्ठ देश यह,

               भारतवर्ष    हमारा     है॥


    गंगा, यमुना,  सिंधु,  सरस्वती,

               पावन    नदियाँ   बहती   हैं।

     इनके  पावन  जल से सिंचित,

               फसलें  मधुर  खनकती   हैं॥

    दूध,  दही,  नवनीत  की  यहीं,

                बहती    पावन    धारा    है।

    सब  देशों  में  श्रेष्ठ देश यह,

                भारतवर्ष     हमारा   है॥


    यहाँ  पर  मंदिर  है, मस्जिद है,

               गुरुद्वारे     भी    सजते    हैं।

   यहीं  बौद्ध  मठ,  हैं  गिरजाघर,

              सब   को   प्यारे   लगते    हैं॥

   अजान, आरती  और सबद  से,

              गूंजा   गगन    भी   सारा   है।

   सब  देशों  में   श्रेष्ठ  देश  यह,

             भारतवर्ष      हमारा    है॥


   कृष्ण, बूद्घ और  महावीर  ने,

             इसी  धरा  पर  जन्म  लिया।

   राधा,  सीता  और  मीरा   ने,

            पावन  इस  धरती को किया॥

   सती अहिल्या को चरणों  से, 

            श्रीराम     ने     तारा     है।

    सब देशों  में श्रेष्ठ  देश  यह,

            भारतवर्ष     हमारा     है।


   हे  ईश्वर! यदि इस धरती पर,

             कभी  जनम  हो  फिर  मेरा।

   यह  पावन भारत की  धरती,

            सदा    हो    क्रीडांगन    मेरा।।

   'नरेश' भारत माँ की जय का,

            सदा     तेरा     जयकारा   है॥

    सब  देशों में श्रेष्ठ  देश   यह,

               भारतवर्ष   हमारा   है।

        

                              ~  नरेश चन्द्र उनियाल,

                              पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड।

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मेरा देश महान-२, इसको कहते हिन्दुस्तान।

भारत भू के हैं हम वासी, सब इसकी संतान।

गंगा, यमुना, सरस्वती है इसकी माला।

देशों की इस गिनती में भारत देश निराला।

इसको जाने निखिल विश्व,न कोई अनजान।

मेरा देश महान-२...............

उत्तर में है मुकुट हिमालय करता इसकी रक्षा।

अरि के लिए वज्र बना है इसका बच्चा-२ ।

छाती ताने खड़े सिपाही दे देते अपने प्राण।

मेरा देश महान-२...............

हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सबकी एक ही गाथा।

भारत के हम रहने वाले एक धरा के भ्राता।

एक डोर से बंधा हुआ है सारा हिन्दुस्तान।

मेरा देश महान-२...................

जन जन के प्यारे राम यहाँ, नारी में बसती सीता है।

मैदान कृषि का या रण का अपने लहू से सींचा है।

सभ्य यहाँ की परम्परा, अतिथि को कहते हैं भगवान।

मेरा देश महान-२, इसको कहते हिन्दुस्तान,

भारत माता के हम वासी,सब इसकी संतान।


गजेन्द्र कुमार

आगरा,उ.प्र.

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कहीं वनों से लदा हुआ ,

       कहीं बंजर रेगिस्तान दिखता है।

पर्वतों का ताज सजा कर ,

       सागर जल कल-कल करता है।

अपने हर एक रूप में ,

         सदा ही मन को हरता है।

सुंदर सजीला रंग बिरंगा ,

          भारत देश यह मेरा है ।


राम किशन की इस भूमि पर ,

       गौतम महावीर भी खेले है।

पीर फकीर की दरगाह पर भी ,

        लगते सावन के मेले है ।

जाति धर्म का भेद ना करके ,

         सबको आंगन में रखता है।

प्रेम ,सद्भाव ,वात्सल्य भरा ,

        भारत देश यह मेरा है ।


आजाद-भगत की इस भूमि पर ,

       कई वीरों ने जन्म लिए।

मातृ भूमि की रक्षा में ,

       प्राण भी अपने निछावर किए ।

सत्य ,अहिंसा ,दया प्रेम का ,

        सदा सम्मान सिखाता है ।

शांत ,निर्मल ,साहस भरा ,

          भारत देश यह मेरा है ।


पावन गंगा के जैसी ,

       नदियाँ यहाँ पर बहती हैं।

खेतों और खलिहानों में,

      सदा ही रौनक रहती है।

कम ही लगता है सदा ,

        जितना भी करूँ गुणगान ,

जन्म लिया है इस धरा पर,

          तो समझूं खुद को भाग्यवान।

जो भी यहाँ पर पग रखे ,

           उपकार उसी पे करता है।

संस्कारी ,सनातन ,गुण भरा ,

           भारत देश यह मेरा है ।

 

        ~ नीना दुबे 

          जयपुर,राजस्थान

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मेरे देश मे प्रभु फिर से नव किरण खिला देना।

परहित पीयूष पिला सबको, सेवा सन्मार्ग सुझा देना॥

प्रेम अंकुरित हो जन जन में ज्ञान की ज्योति जला देना।

मेरे भारत मे प्रभु फिर से नव किरण खिला देना।।


दमितों को अधिकार मिले, पाये दीन हीन सम्मान यहाँ॥

भेद भाव को मिटा प्रभु! सोया सम्मान जगा देना।

मेरे भारत मे प्रभु फिर से नव किरण खिला देना।।


नारी को सम्मान मिले यहाँ छुआ-छूत का दोष मिटे।

बलहीनों में बल संचार करो प्रभु! निर्भय राष्ट्र बना देना।

मेरे भारत में प्रभु फिर से नव किरण खिला देना।।


देश भक्ति हो सबके मन में, धर्म ध्वजा सब फहराएँ।

दशों दिशाओं का तिमिर मिटा प्रभु! कर्मवीर बना देना।

मेरे भारत में प्रभु फिर से नव किरण खिला देना।।


हम सब भारतवासी सदा सत्य अटल अविनाशी रहें।

जाति धर्म का भेद मेट प्रभु! हिन्दुस्तानी सबको बना देना।

मेरे भारत में प्रभु फिर से नव किरण खिला देना।।


बोली भाषाएँ अलग-अलग पर एक हमारी सोच रहे।

रहें एकता से हम सब प्रभु! जन-जन को समझा देना।

मेरे भारत मे प्रभु फिर से नव किरण खिला  देना।।


खड़ा हिमालय पहरेदार बन सागर चरण पखार रहा।

शत्रु देख थरथर कांपे प्रभु! 

  विश्व को बतला देना।

मेरे भारत में प्रभु फिर से नव किरण खिला देना॥

परहित पीयूष पिला जन-जन को सेवा सन्मार्ग सुझा देना।।


          ~ अनीता वाला त्रिपाठी 

          कानपुर नगर, उत्तर प्रदेश

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