ह्रदय के भावों को, प्रकट करना चाहता हूं।
औरों को भावों से अवगत करवाना चाहता हूं।
मन में मेघ की तरह, उमड़ घुमड़ कर आते हैं।
बातों ही बातों में, बहुत कुछ कह जाते है।
ह्रदय में उत्पन्न भावों के लिए, संवाद होना चाहिए।
निठल्ले बैठे व्यर्थ बातों में ठहाका लगाते।
एक दूसरे का अपकार, परिहास करते।
बादल बन कटु शब्दों की झड़ी जैसे लगाते।
मोह माया की इन बातों से बचना चाहिए।
घृणा प्रेम में बदल जाए, ऐसा संवाद होना चाहिए।
भावाभिव्यक्ति भाषा का परिष्कृत रूप है।
सरल, सौष्ठव भाषा, संवाद का स्वरूप है।
शब्दों की माला, विचारों का प्रकटीकरण होता है।
मुख से निकले, हर शब्द सार्थक होना चाहिए।
विचारों को प्रकट करने के लिए, संवाद होना चाहिए।
स्वतंत्र देश की नारी, करती संकेतों से बात।
पुरुष के समक्ष नारी वाणी, समझी जाती विवाद।
नारी को पीड़ा व्यक्त का अधिकार देना चाहिए।
नारी की मन की बात के लिए, संवाद होना चाहिए।
प्रभु राम गरासिया
बाली, पाली, राजस्थान
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जब जीवन कटुता से भर जाए
मन में घोर उदासी छाए
अपने ही बैरी बन जाएँ
तो आपस में न कोई विवाद होना चाहिए
केवल सार्थक संवाद होना चाहिए।
जब दो देशों में ठन जाए
युद्ध भी ना फैसला कर पाए
दोनों देश भंवर में फंस जाएँ
तो आपस में वाद- प्रतिवाद होना चाहिए
केवल सार्थक संवाद होना चाहिए।
जब बात घर- परिवार पर आ जाए
कोई भी हल न निकल पाए
सब आपस में ही भिड़ जाएँ
तो सब को अभिव्यक्ति का अधिकार होना चाहिए
केवल सार्थक संवाद होना चाहिए।
बाद स्वदेश पर आ जाए
देश में बढ़ते क्लेश पर आ जाए
देश -रक्षा तथा देश- प्रेम पर आ जाए
तो कोई नहीं विवाद होना चाहिए
केवल सार्थक संवाद होना चाहिए।
आराधना शुक्ला
अयोध्या,उत्तर -प्रदेश
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अनेकता में एकता का शंख नाद होना चाहिए
देश हित सर्वोपरि हो परस्पर सह संवाद होना चाहिए
शांति तब तक ही भली जब मौन का भी मान हो
मौन का अपमान हो तो प्रतिवाद होना चाहिए
मौन का भी तब मुखर स्वर संवाद होना चाहिए
धर्म का जब नाश हो और बढ़ रहा अत्याचार हो
पार्थ के गांडीव का तब प्रचंड नाद होना चाहिए
अन्याय के विरुद्ध निर्लिप्त संवाद होना चाहिए
जीवन का ध्येय क्या है लक्ष्य क्या और उद्देश्य क्या
व्यक्तित्व की क्लिष्टता का सरल अनुवाद होना चाहिए
सर्वधर्म समभाव से एकजुट मधुर संवाद होना चाहिए
उच्च निम्न का भान न हो मानव धर्म ही बस प्रधान हो
द्वेष ईर्ष्या लोग मोह से हृदय को आजाद होना चाहिए
अनुरक्ति मन से सभी व्यक्ति में संवाद होना चाहिए
लोकतंत्र के वीणा से जन गण मन की झंकार रहे
देशभक्ति के संदर्भ में नहीं कुछ विवाद होना चाहिए
देशहित में देश प्रेम का दृढ़ प्रतिज्ञ संवाद होना चाहिए
अनुभूतियॉं ना बर्फ हों ना मन में कुछ विषाद हो
स्नेह की ऊष्मा भरे हृदय में राग होना चाहिए
एकता और प्रेम से आह्लाद भरा संवाद होना चाहिए
प्रगति शंकर
झांसी, उत्तर प्रदेश
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शत्रुता, कटुता, वैमनस्यता त्यागकर संवाद होना चाहिए,
एकता अखंडता अक्षुण्ण रहे इसीसे संवाद होना चाहिए।
स्वार्थ ,जात-पात, ऊंच-नीच छोड़ कर सद्कर्म करें हम,
राष्ट्र सेवा में तन-मन अर्पण कर जीवन सफल करें हम ।
संवाद बिना परिवार,समाज,देश में अधूरी है पहचान,
लोकतंत्र की सफलता चाहिए तो मधुर संवाद पहचान।
चहुं ओर त्राहि-त्राहि मची हुई है दिखता नहीं अब भोर,
मौन व्रत त्यागकर संवाद से जनता को दो सुख की भोर।
राष्ट्र धर्म सर्वोपरि है जनता से संवाद होना ही चाहिए।
सभी विवादों से हटकर जन- जन से संवाद होना चाहिए।
साम्राज्य विस्तार संभव है जब समता का सुंदर आचार,
परोपकार का संचार कर जन मानस में उभरे सुविचार।
दुख पीड़ा में भी आगे बढ़ कर संवाद होना ही चाहिए,
संवाद सूत्र बिना कोई क्रिया-कलाप होना नहीं चाहिए।
अंशु माला झा'अंश'
दिल्ली
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अनमोल इस जीवन का
उदेश्य होना चाहिए
व्यर्थ ना जाये देह ये
कुछ लक्ष्य होना चाहिए
जीते- जी और बाद भी
संवाद होना चाहिए
नीरस जीवन कलश में
सुधा रस भरना चाहिए
आशा के कवच पहना
मुस्कान लाना चाहिए
हम रहें ना रहें हमारा
संवाद होना चाहिए
होठों पे सजा सबके
मुस्कान होना चाहिए
बड़े वृक्ष की छाँव में
पौधे पनपने चाहिए
जन्मदाताओ का दिल
दुखाना नहीं चाहिए
आने वाली पीढ़ियों को
ये संवाद जाना चाहिए
~ शिवानी राज
काठमांडू, नेपाल
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