साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता विषय- देश मेरा || Poem on independence day


प्रतियोगिता से संबंधित नियम व शर्तें

रचना विषय  - ' देश हमारा '

प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने की प्रक्रिया

♻️ रचना विषय प्रत्येक सोमवार सुबह पत्रिका के App पर प्रकाशित किया जायेगा।

♻️ रचनाकार को अपनी रचनाएँ App में दिए गए प्रतियोगिता विषय के कॉमेंट में लिखना होगा।

♻️ रचनाकार कॉमेंट में रचना पोस्ट करते समय रचना में नीचे अपना नाम जिला व प्रदेश अवश्य लिखें अन्यथा रचना अस्वीकृत होगी।

♻️ रचनाएँ 12-16 पंक्तियों में अपनी रचना पूर्ण करें।

♻️ रचना में हिन्दी भाषा के शब्दों के प्रयोग को प्राथमिकता दी जाएगी अतः हिंदी के शब्द का ही प्रयोग करें।

♻️ रचना के उत्कृष्ट भाव होने पर कुछ अन्य भाषा के सामान्य शब्दों की छूट या उसे हिन्दी भाषा के शब्दों से प्रतिस्थापित किया जा सकता है।

♻️ रचना के उत्कृष्ट होने पर रचना के चयन हेतु उसमें कुछ शब्दों अथवा पंक्तियों के परिवर्तित कर उसे प्रकाशित करने का अधिकार निर्णायक समिति के पास सुरक्षित है |

♻️ यदि कोई रचनाकार हिन्दी से पृथक् भाषा के शब्दों का प्रयोग अधिक करता है तो उसकी रचना को निर्णय से हटा दिया जायेगा तथा प्रयास किया जायेगा कि उसे सुझाव दिया जाए।

♻️ रचनाएँ भावाश्रित होने के साथ ही व्याकरण तथा साहित्य के दोषों से मुक्त हों जिससे उसके चयन की सर्वाधिक संभावना हो।

♻️ साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता के आयोजन का उद्देश्य हिन्दी भाषा के प्रति जागृत करना है अतः प्रतियोगिता में सर्वाधिक ध्यान भाव के साथ हिन्दी शब्दों के सर्वाधिक प्रयोग पर है।

♻️ किसी भी शब्द की पुनरावृत्ति  किसी भी लेखन में त्रुटि मानी जाती है अतः किसी शब्द की पुनरावृत्ति से बचने हुए हिन्दी भाषा के अलग - अलग उपयुक्त शब्दों का प्रयोग करें।

♻️ रचनाएँ प्रत्येक शुक्रवार रात्रि १० बजे तक ही स्वीकार होंगी।

♻️ साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता का परिणाम रविवार को पत्रिका की वेबसाइट पर प्रकाशित कर दिया जायेगा।

♻️ परिणाम प्रकाशित होने के बाद चुने गए रचनाकार को अपना पासपोर्ट साइज़ फोटो पत्रिका के आधिकारिक व्हाट्सएप +91 6392263716 पर भेज देना है।

♻️ पासपोर्ट साइज़ फोटो प्रशस्ति -पत्र पर प्रयोग करने हेतु मंगाया जाता है, यदि चुने गए रचनाकार द्वारा रविवार शाम तक फोटो नहीं भेजा गया तो बिना फोटो के ही प्रशस्ति -पत्र जारी कर दिया जायेगा।

♻️ प्रशस्ति -पत्र पत्रिका के फेसबुक पेज, फेसबुक ग्रुप या इंस्टाग्राम आदि से प्राप्त किया जा सकता है जिसकी लिंक वेबसाइट पर उपलब्ध है ।

♻️ किसी आपातकालीन स्थिति में प्रशस्ति -पत्र को पत्रिका के व्हाट्सएप से भी प्राप्त किया जा सकता है।

♻️ प्रशस्ति -पत्र ई-फॉर्मेट में जारी किया जायेगा तथा जो रचनाकार चाहें इसकी हार्डकॉपी निःशुल्क प्रयागराज से प्राप्त कर सकते हैं।

♻️ प्रशस्ति -पत्र अपने डाक पते पर मंगाने हेतु रचनाकार को कुछ आवश्यक शुल्क देने होंगे, जिससे उनके पते पर इसे भेज दिया जा सके।


♦️ रचना कैसे करें?

1️⃣ रचना करने के लिए सबसे पहले आप हिन्दी काव्य कोश के मोबाइल App पर आयेंगे जहाँ पर प्रत्येक सोमवार को विषय पोस्ट किया जाता है।

2️⃣पत्रिका के App पर दिए गए विषय पोस्ट पर क्लिक कर उसके नीचे दिए गए कॉमेंट बॉक्स में अपनी रचना लिखकर Submit कर देंगे।

3️⃣ रचनाकारों को हिन्दी काव्य कोश के फेसबुक ग्रुप में अपनी रचनाएँ अवश्य भेजनी चाहिए परंतु यह ऐच्छिक है।

4️⃣ रचना कॉमेंट में सबमिट होने के बाद उसे वही रचनाकार edit नहीं किया जाना है।

5️⃣ रचनाकारों को सुझाव दिया जाता है कि वे एक बार कॉमेंट करने से पहले Log in कर लें जिससे नाम के साथ उनका कॉमेंट प्रदर्शित हो।

 किसी प्रकार की समस्या होने पर पत्रिका के व्हाट्सएप नंबर +91 6392263716 पर समस्या साझा करें।

6️⃣ चुनी गई रचना का लिंक प्रत्येक विषय पोस्ट के नीचे जोड़ दिया जायेगा जिसपर क्लिक करके उस विषय की चुनी गई रचनाओं को बाद में पढ़ा जा सकेगा।

7️⃣ रचनाओं का चुनाव निर्णायक मंडल द्वारा निष्पक्ष रूप से किया जाता है।। अतः कोई भी रचनाकार निर्णय पर प्रश्न नहीं उठा सकता है।।

यदि कोई रचनाकार चुनी गई रचनाओं पर अभद्र टिप्पणी करता है या चुनाव प्रक्रिया का विरोध करता है तो उसे हिन्दी काव्य कोश से बाहर कर दिया जायेगा।।


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प्रतियोगिता का परिणाम प्रत्येक सप्ताह रविवार को घोषित किया जाएगा। 

जिसमें निर्णायक समिति द्वारा समान रूप से चुनी गई रचना को उत्कृष्ट घोषित किया जायेगा। जिसे हिन्दी काव्य कोश के फेसबुक पेज तथा ग्रुप्स में भेजा जायेगा तथा उनकी रचना को पत्रिका की वेबसाट www.hindikavykosh.in पर प्रकाशित किया जायेगा।।


💯 रचना चोरी की अनेकों शिकायतें हिन्दी काव्य कोश की जाँच समिति को प्राप्त हो रही हैं। हिन्दी काव्य कोश आपको यह सूचित करता है कि यदि आपकी रचना में किसी भी रचनाकार की कोई भी पंक्तियाँ पाई गईं तो आपकी रचना का चुनाव होने के बाद भी आपको सदैव के लिए आपकी रचना को हटा कर सार्वजनिक रूप से बाहर कर दिया जायेगा।।


सुझाव :

🗝️ रचनाकारों को अपनी रचना नीचे कॉमेंट में पेस्ट करने के बाद पत्रिका परिवार के फ़ेसबुक ग्रुप में ऊपर दी गई विषय चित्र के साथ रचना पोस्ट करना चाहिए जिससे उसे अधिक साहित्य प्रेमियों तक पहुँचाया जा सके |

फ़ेसबुक ग्रुप की लिंक पर क्लिक कर पोस्ट करें 

🗝️ फेसबुक पर आप सभी #हिन्दी_काव्य_कोश तथा #tmkosh का प्रयोग अवश्य करें। ऐसा करने पर समिति कोश को आपकी पोस्ट देखने में मदद मिलती है।

🗝️ रचनाओं का चुनाव Whatsapp पर नहीं किया जायेगा | अतः रचनाकारों से निवेदन है कृपया प्रतियोगिता विषय की रचनायें Whatsapp पर न भेजें | प्रतियोगिता से बाहर की रचनायें ( कहानी,कविता,लेख ) आदि के प्रकाशन हेतु उन्हें Whatsapp पर भेजी जा सकती हैं |

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40 टिप्पणियाँ

  1. विनय मोहन शर्मा अलवर, राजस्थान7 अगस्त 2023 को 5:05 pm बजे


    मेरे देश की माटी

    मेरे देश की इस माटी को,
    मिलकर शीश झुकाएं हम
    चन्दन भाल बनाकर इसका,
    आओ तिलक लगायें हम
    बलिदानों के रक्त से सिंचित,
    इस माटी का मान रखो
    लाज न इसकी जाने पाए ,
    इस पर तुम अभिमान रखो
    दुश्मन ताक लगाये बैठा ,
    माटी की आन मिटाने को
    आज करें प्रण हम सब मिल कर ,
    इसकी शान बचाने को
    अपना सब कुछ है यह माटी,
    वीरों ने इसे संवारा है
    सींच सींच कर खून से अपने ,
    इसका रंग निखारा है
    आंच ना आये शान पे इसकी ,
    बस इतना हम ध्यान रखें
    आहुति दे प्राणों की अपनी ,
    आओ कुछ तो दान करें

    कवि विनय मोहन शर्मा
    अलवर, राजस्थान

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  2. देश मेरा
    हम सब एक हैं भारतवासी
    एकता का भाव जगाना है।
    कन्या कुमारी के जूड़े में,
    कश्मीरी फूल लगाना हैं।

    राम, कृष्ण, गौतम, भारत के
    जन जन के आदर्श यहाँ
    वीर शिवा, राणा, लक्ष्मी,
    नेता जी सा उत्कर्ष यहाँ
    सांस सांस में वीर भगत सिंह
    और आजाद तराना है।
    कन्या कुमारी के.....

    हिमगिरि जैसी छाती अपनी
    मंगल बुध की सैर करें।
    चट्टानी पुरुषार्थ हमारा,
    हम दुनिया की खैर करें।
    अन्तरिक्ष मैं उड़े तिरंगा,
    समता शंख बजाना है।
    कन्या कुमारी के......

    तोड़ विषमता की बेड़ी
    उन्नत पथ पर हम अग्रसर हैं
    बाधा जो डाल रहे पथ में
    वो शत्रु पड़ोसी तत्पर है।
    उनके मुँह पर कालिख पोत के
    दुनिया को दिखलाना है
    कन्या कुमारी के .....
    हरिवंश प्रभात
    मोबा.6206536818

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  3. मेरा देश

    भारत अपना देश है, जिसकी ऊँची शान।
    विश्व पटल पर फहरता, इसका शुभ्र निशान।।

    यह संस्कृति की भूमि है, अनुपम है संस्कार।
    मानवीय गुण से लसित, शील और व्यवहार।।

    प्रगति पंथ पर बढ़ चला, अब इसका रथ यान।
    गाएगा जग विवश हो , उन्नति का जयगान।।

    राष्ट्रभक्ति मन में लिए, और तिरंगा हाथ।
    चरणों में नित कोटि जन, झुका रहे निज माथ।।

    पुण्यभूमि है देश की, इसमें बसते प्राण।
    एक ध्येय सबके लिए, जन जन का कल्याण।।

    बलिदानों की श्रृंखला, जिनसे है आजाद।
    यही एक अभिलाष मन, रहे सदा आबाद।।

    यश सम्मान बना रहे, दुनिया में अविराम।
    ज्ञान ज्योति जलती रहे,हरपल आठों याम।।

    संविधान रक्षित रहे, हो समान अधिकार।
    सामाजिक सदभाव हो, सबके उच्च विचार।।

    दीन न कोई दुःखी हो, स्वस्थ रहें सब लोग।
    एक भाव से कर सकें, संसाधन उपभोग।।

    मेरे भारत देश का, सदा हो उन्नत शीश।
    अटल हिमालय सा खड़ा, मिले सुभग आशीष।।

    फूलचंद्र विश्वकर्मा

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  4. --देश मेरे----
    लाखों कुर्बानियां दे
    पाई थी आजादी।
    किसी ने कहा-
    रक्तहीन क्रांति की देन है
    भारत की आजादी ।
    चंद्रशेखर आजाद की
    चाहत थी आजादी ।
    भगत और विस्मिल का
    ख्वाब था आजादी।
    संसद का बम कांड है
    दोनों की वीरता की
    विशिष्ट अमिट कहानी।
    खूदीराम फांसी पर झूल
    देश को दिलाया आजादी ।
    तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा
    जिसका यह नारा था उस क्रांतिवीर का
    सपना था भारत की आजादी
    अनगिनत लालों को खोकर
    पायी थी हमने आजादी।
    तब जवाहर ने लाल किले पर
    फहराया था अमिट निशान
    जय हिन्द। जय हिन्द। जय हिन्द

    जितेन्द्र नाथ मिश्र
    कदम कुआं
    पटना

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  5. डॉ. कौशलेन्द्र टिंगी8 अगस्त 2023 को 1:21 am बजे

    वाहे-गुरू की सीख

    हिन्दू न पले, हैं न मुसलमान पले हैं ।
    चश्मा न लगा, देख कि इंसान भले हैं ॥

    अल्लाह बुला, गॉड बुला, नाम कई हैं ।
    समझो कि सभी, राम रमे, शब्द ढले हैं ॥

    यह जन्म मिला, साँस चली, उम्र ढ़ली है ।
    सब एक जिया, एक यहीं, मृत्यु छले हैं ॥

    जब भूख वही, प्यास वही, चून वही है ।
    है देश वही, खून से क्यों, खून जले हैं ॥

    विश्वास करो, संग रहो, ढंग यही है ।
    दो पाट मिलें, चाक चले, दाल दले हैं ॥

    वाहे-गुरू के, पास मिली, सीख सही है ।
    सब लोग जुड़े, साथ तभी, देश फले हैं ॥
    ———————————————
    आधार छन्द: बिहारी
    विधान — २२ मात्रा, मापनीयुक्त मात्रिक
    मापनी — गागाल लगा गाल लगा गाल लगा गा
    समान्त — अले
    पदान्त— हैं
    ———————————————
    लेखक: डॉ. कौशलेन्द्र टिंगी, जॉर्जिया, यू. एस. ए.

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  6. गंगा जमुनी संस्कार।

    सबसे बड़ा लोकतंत्र,
    हर धर्म के लोगों का वास,
    छुट पुट मतभेद,
    जब आई मां भारती पर बात,
    तो एक मुट्ठी बन गए,
    बस देश के लिए डट गए।

    तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था,
    सबसे बड़ा शिक्षा तंत्र।
    है अधिक गरीबी,
    लेकिन कम में भी जीना,
    हम देशवासियों से कोई सिखे,
    अपनी आवश्यकता के लिए उत्पादन कर लेते।

    दुनिया के हर मंच पर,
    देश का विशेष स्थान,
    आने‌ वाले कल में,
    एक बड़ी ताकत बन उभरेंगे।

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  7. बीरेन्द्र सिंह राज8 अगस्त 2023 को 6:06 am बजे

    #हिन्दी_काव्य_कोश#tmkosh
    साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता
    विषय:देश हमारा
    दिनांक:08/08/2023
            देश हमारा
    हिन्दुस्तां  के  हर घर-घर में,
    राष्ट्रीय तिरंगा ध्वज लहराये।
    बच्चा -बच्चा झूम खुशी से,
    जन- गण- मन गीत सुनाये।
    बंद हो जाये,हमारा-तुम्हारा,
    ऐसा हो ,भारत देश हमारा।

    गांव ,बिजली से  रोशन हो,
    घर साफ जल,नल से आये।
    सभी को रोजी -रोटी मिले,
    भूखा पेट ,न कोई सो जाये।
    एक- दूसरे का,मिले सहारा, 
    ऐसा हो ,भारत देश हमारा।

    कोई भेद न हो बेटी-बेटा में,
    दोनों सम शिक्षा ,हुनर पायें।
    मां ,बहन ,बेटी  हो सुरक्षित,
    देश ,विदेश में नाम  कमायें।
    काम देश, देश में घर न्यारा,
    ऐसा हो ,भारत  देश हमारा।      

    घर- बाहर साफ ,सफाई हो,
    जंगल  की नहीं  कटाई  हो।
    स्वेच्छा से  नारी  काम  करें,
    निज हाथ,उसकी कमाई हो।
    आतंकी ,बैठा न हो चौबारा,
    ऐसा  हो,भारत देश  हमारा।         

    भगत,शेखर,बिस्मल,अली,
    देश भक्ति  में  जान  गवांये।
    राम- रहीम की  जन्म भूमि,
    धर्म  कभी  ना आड़े  आये।
    धर्म गुरु में संबंध हो प्यारा,  
    ऐसा हो,भारत देश हमारा।

    बिरेन्द्र सिंह राज
    नोएडा
    गौतम बुद्ध नगर
    उत्तर प्रदेश

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  8. ---आजादी----
    लाखों कुर्बानियां दे
    पाई थी आजादी।
    किसी ने कहा-
    रक्तहीन क्रांति की देन है
    भारत की आजादी ।
    चंद्रशेखर आजाद की
    चाहत थी आजादी ।
    भगत और विस्मिल का
    ख्वाब था आजादी।
    संसद का बम कांड है
    दोनों की वीरता की
    विशिष्ट अमिट कहानी।
    खूदीराम फांसी पर झूल
    देश को दिलाया आजादी ।
    तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा
    जिसका यह नारा था उस क्रांतिवीर का
    सपना था भारत की आजादी
    अनगिनत लालों को खोकर
    पायी थी हमने आजादी।
    तब जवाहर ने लाल किले पर
    फहराया था अमिट निशान
    जय हिन्द। जय हिन्द। जय हिन्द

    जितेन्द्र नाथ मिश्र
    कदम कुआं
    पटना

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  9. माँ शारदे को नमन
    हिन्दी साप्ताहिक प्रतियोगिता
    शीर्षक - देश मेरा :-
    मौलिक, स्वरचित रचना -

    यह देश मेरा, यह देश मेरा
    है अभिमान मेरा, हाँ अभिमान मेरा।

    उत्तर हिम से शोभित मुकुट
    हिमालय मुकुट सा सोहे।
    दक्षिण सागर त्रिवेणी संगम
    सागर सदा चरणों को धोवे।।

    अत्रि नाग मणि मिजो अरुण मेघ
    पूर्वांचल सप्तभगिन्यः बिराजे।
    धरती है प्यासी यहाँ मरुस्थलीय विस्तार
    पश्चिम में टीले और रेतीले धोरे।।

    रामायण महाभारत गीता वेद पुराण
    ऋषि मुनियों ने पावन ग्रंथ रचे।
    विश्व धरोहर श्रेष्ठ संस्कृति व सेवा सत्कार
    अतिथि परमो धर्म हृदय में बसे।।

    राम कृष्ण दशावतार देव अवतरित
    अधर्म पर धर्म की विजय करे।
    दुर्गा कमला लक्ष्मी रमणा धीर सुशीला
    वही काली बन राक्षस संहार करे।।

    प्रताप की युद्धस्थली वीर राणा कुम्भा
    जान पे खेल महान युद्ध लड़े।
    मर्दानी वीरांगनाएं भी कोई कम न थी
    लक्ष्मीबाई से होल्कर काँप उठे।।

    वीर शिवाजी आजाद भगतसिंह सुखदेव
    राजगुरु आजादी का इतिहास रचे।
    संविधान निर्माता अम्बेडकर मिसाइल मैन
    कलाम, गांधी सत्य अहिंसा पे डटे।।

    प्राकृतिक रमणीय छटा पर्वत निर्झर नदियाँ
    तपोस्थली तीरथ त्रिवेणी मन मोहे।
    प्यारे देश की खातिर अपना जीवन अर्पण
    भारत माता का मस्तक गर्वित रहे।।

    यह देश मेरा, यह देश मेरा
    है अभिमान मेरा, हाँ अभिमान मेरा।।

    मनीषा सिंह जादौन
    अध्यापिका
    जालोर, राजस्थान

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  10. #हिंदी_काव्य_कोश
    #tmkosh
    साप्ताहिक प्रतियोगिता
    प्रेषित शब्द : देश मेरा
    विधा : कविता
    शीर्षक : हर घर तिरंगा
    ******************
    अपने बुजुर्गों से सुनी हमने देश प्रेम की कहानियाँ
    स्वतंत्रता संग्राम की गाथा, शहीदों की क़ुर्बानियां
    देश मेरा कहलाता था विश्व में सोने की चिड़िया
    बहती थीं रजत सी चमकती धवल दूध की नदियाँ ।

    विविधता में एकता का था नारा गूंजता निसदिन
    सत्य,अहिंसा,प्रेम,ज्ञान का दीप जलता पलछिन।
    न जाने कब,कैसे,बदल गई तस्वीर उस परिवेश की
    सभ्यता,संस्कृति,साहित्य,सामाजिक समावेश की।

    आधारहीन है ये सोचना देश ने हमको क्या दिया
    इस तथ्य पर विचार करें हमने देश को क्या दिया
    होभ्रष्टाचार,स्वार्थ,पूंजीवाद,अन्याय का उन्मूलन
    माँ,बहन,बेटी की इज़्ज़त खंडित न हो सब करें प्रण।

    क्रीड़ा, विज्ञान, योग, अध्यात्म, है देश मेरा सर्वोपरि
    हमें तोड़ने के वो सारे मनसूबे दुश्मन के रह गई धरी
    वसुधैव कुटुम्बकम ,विश्वबंधुत्व की बहे पावन गंगा
    लहराए शान से युगान्तर तक हर गाँव हर घर तिरंगा।
    मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित@भार्गवी रविन्द्र….९/८/२३ बेंगलुरु, करनाटक

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  11. #हिन्दी_काव्य_कोश
    #विषय-देश मेरा
    #दिनांक-09/08/2023

    शोभन-सुंदर देश हमारा,
    गाता रहता जग सारा।
    आलोकित वसुधा है जिससे,
    ऐसा सुंदर देश हमारा।
    हिमगिरी की मिट्टी से लिपटा,
    सागर की धारा में दिखता।
    सुंदर-सुंदर मुखड़ा इसका।
    ब्रह्मपुत्र-गंगा-गोदावरी,
    नर्मदा-कृष्णा-महानदी,
    करतीं सिंचञ्ति कृषि भूमि को,
    हर्षित करतीं सदी-सदी।
    ज्ञानी बलिदानी के उन्नत,
    भावों वाला देश हमारा।
    यस किरीट से सज्जित ऊंचे,
    मस्तक वाला देश हमारा।
    गौरवशाली गाथा अपनी,
    साहस धैर्य पराक्रम वाला।,
    वीर शिवा-राणा-सुभाष और,
    सीता-सावित्री-मां दुर्गा,
    मरदानी लक्ष्मी बाई के,
    गीतों वाला देश हमारा।
    बुंदेली मद्रासी भाई,
    गएँ यश गान पुराना।
    दर्शन-वेद-पुराण-भाष्य और,
    गीता के उपदेशों वाला,
    शोभन-सुंदर देश हमारा।

    स्वरचित,मौलिक व अप्रकाशित रचना

    विभा गुप्ता'दीक्षा'
    प्रयागराज, उत्तरप्रदेश

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  12. देश हमारा ....

    जहा तिरंगा लहेरे हवाओंमे|
    जहा एकता की महक फ़िज़ाओमे|
    ऐसा देश हमारा है ||

    हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई |
    जहा मिल कर रहते भाई भाई|
    ऐसा देश हमारा है ||

    याद रहे सबको शहीदोने ऐसा दिया बलिदान|
    सामान अधिकार मिले ऐसा हमारा संविधान |
    ऐसा देश हमारा है ||

    उत्तर में हिमालय की गौरव गाथा|
    दखिनमे दरिया मिल जाता |
    ऐसा देश हमारा है ||

    जहा राज मस्जिद तक जाता हो|
    और रहीमभी मंदिर पे सर ज़ुकता हो |
    साथ में सब त्यौहार मानते है
    ऐसा देश हमारा है ||

    हेमिषा शाह
    अहमदाबाद गुजरात



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  13. हिन्दी काव्य कोश
    विषय _देश हमारा
    तमिस्त्रा से अब हो निरापद,
    ध्येय आजादी का ले सुखद।
    स्वर्ण रश्मियां हिम किरीट से,
    फैला आलोक रण जीत से।
    अजातशत्रु हम शांति समर्थक,
    विस्मृत करते बात निरर्थक।
    मनोहर निकुँज वासित चहुँदिश,
    भारत भूमि दे रही असीस।
    अतुलनीय जिनके प्रताप से,
    मुक्त हुआ ब्रिटिश संताप से।
    दर्शन कला का भाव निरुपम,
    सत अहिंसा की छटा अनुपम।
    परिवर्तन शाश्वत द्रुतगामी,
    सुखद जीव हर जन आसामी।
    सद्भाव संस्कृति,सबसे न्यारा,
    देश हमारा सबसे प्यारा।।
    मोहम्मद अलीम
    बसना
    जिला_ महासमुन्द

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  14. विषय:-- देश हमारा

    देश हमारा प्यारा है
    आंखों का तारा है
    इस पर जीवन वारा है
    बहे गंगा यमुना धारा है
    नदीजाल का नजारा है
    पक्षी कलरव न्यारा है
    पर्वत घाटी कछार है
    बहती ठंडी बयार है
    सुमन सदा बहार है
    तीजत्यौहार का तार है
    उमंगो की बौछार है
    तन मन जार जार है
    धर्मों में भाईचारा है
    एक दूजे का सहारा है
    होतान हमारातुम्हारा है
    देशभारत मेरा प्यारा है
    विश्व में सबसे न्यारा है
    देश हमारा प्यारा है
    स्वरचित एवं मौलिक
    मंजु तिवारी दीवान
    जूना बिलासपुर छत्तीसगढ़

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  15. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  16. नमन मंच
    #हिन्दी काव्य कोश
    #tmkosh
    #साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता
    #दिनांक- 10/8/2023
    #विषय- देश हमारा

    नवजीवन की ज्वाला से दीपित,
    नव मानवता के अंकुर से अंकुरित,
    नव प्रभात में नहाया जहाँ लोकतंत्र,
    देश हमारा उसे क्या रोकेगा षड्यंत्र।

    जहाँ ऐश्वर्य से अवतरित है हर मन,
    सारे दुर्गुणों का हो रहा हो समापन,
    दासत्व की भावना उर में नहीं बाकी,
    देश हमारा,उसे क्या बिगाड़ेगी चालाकी।

    जहाँ विपदा में भी निर्भीक रहें जन,
    एकता की भावना से ओतप्रोत हो मन,
    जहाँ देशप्रेम शान से मुस्कुराता है,
    वहाँ धोखा कुछ नहीं कर पाता है।।

    जहाँ तूफान से टकराने की है ताकत,
    वतन के नौजवानों में है बहुत हिम्मत,
    तिरंगे की रक्षा में न सोचा जाए अंजाम,
    ऐसे देश का विश्व में होता बड़ा नाम।

    परिश्रम ही है जिस देश का परम धर्म,
    नैतिक मूल्यों का पालन वहाँ का कर्म,
    जिस देश का ध्वज सदा फहरे आकाश,
    देश हमारा सदा करे अपना विकास।

    रचनाकार- मनोरमा शर्मा ' मनु '
    स्वरचित एवं मौलिक
    हैदराबाद
    तेलंगाना

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  17. ऐसा भारत देश हमारा,
    प्यारा भारत देश हमारा।
    नदियां जिसकी पायल बनकर,
    कल कल करती झंकार फिरे।
    जहां सुंदर खेतो की हरियाली से,
    अपना अदभुत सुंदर सिंगार करे।
    सूरज की लाली भोर सांझ,
    जिसका नित नया आगाज करे।
    ऊंचे ऊंचे सुंदर पर्वत,
    जिसकी भुजा विशाल बने।
    एक वर्ष के मध्य में बार बार,
    मौसम का रूप बदलता है।
    सर्दी ,गर्मी के साथ साथ,
    मन को बसंत बहलाता है।
    बचपन बिताने को राम,कृष्ण,
    जिस धरा पे आ डाला डेरा।
    सम्पूर्ण सृष्टि में स्वर्ग से सुंदर,
    ऐसा भारत देश हमारा।
    प्यारा भारत देश हमारा।
    सरकार अमन .....

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  18. साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता
    विषय - "देश हमारा"

    कविता शीर्षक - 'देश के लिए कुछ ऐसा हम करें'

    देश के लिए कुछ ऐसा हम करें..
    देश के लिए कुछ ऐसा हम करें...
    माँ भारती प्रसन्न हो सदा
    एक-एक अंग अभिन्न हो सदा
    ना कोई हो पृथक और जुदा
    सबसे प्रेम हो भगवान या खुदा
    किसी बात का ना कोई गम करें..
    देश के लिए कुछ ऐसा हम करें...

    भाईचारे की भावना बहे
    कोई अब जुल्म, अत्याचार ना सहे
    नेह, सदभाव की बहे यूँ बयार
    सबके दिलों में रहे प्यार ही प्यार
    जनजागरण का शंखनाद हो
    देश मेरा खुशियों से आबाद हो
    दुख-दर्द से ना कोई आँख नम करें..
    देश के लिए कुछ ऐसा हम करें...

    रहे ना कोई भूख से व्याकुल
    बंदोबस्त हो कुछ ऐसे ही माकूल
    ना हो बचपन शिक्षा से वंचित
    बंटता रहे ज्ञान, धरोहर भी हो संचित
    देश की प्रतिभा का यशगान हो चहुँओर
    अंधेरा छंट जाए, हो जाए नई भोर
    तिमिर का हर तमस तम हरे..
    देश के लिए कुछ ऐसा हम करें...

    -रचयिता- विवेक जगताप, धरमपुरी जिला धार (मध्यप्रदेश)
    -ईमेल-vivekjagtappatrakar@gmail.com

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  19. #हिन्दी_काव्य_कोश
    साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता
    विषय: देश हमारा


    भूमंडल पर इक धरा का टुकड़ा सबसे प्यारा,
    भारत देश हमारा उसमें इक ज्योतिर्मय तारा।

    'वसुधैव कुटुंबकम्' का भाव प्रसारता देश हमारा,
    जैसे रवि निज किरणों से भरता जग में उजियारा।

    वीर बलिदानियों को करता नमन सदा देश हमारा,
    विजयी विश्व तिरंगा है पल पल अभिमान हमारा।

    कभी कहाता था 'सोने की चिड़िया' देश हमारा,
    आत्मनिर्भरता के मंत्र से है पुनः खुद को संवारा।

    अखंड भारत का ले संकल्प बढ़ रहा देश हमारा,
    अंतरिक्ष तक बना पहुंच,कर रहा अनंत विस्तारा।

    नवाचार आत्मसात कर समुन्नत होता देश हमारा,
    'सबका साथ-सबका विकास', अब यही है नारा।

    एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना कर साकार
    अनेकता में एकता संजोए यह प्यारा देश हमारा!


    स्वरचित मौलिक रचना
    द्वारा, सीमा अग्रवाल
    गोमतीनगर, लखनऊ
    उत्तर प्रदेश -२२६०१०

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  20. "देश हमारा"
    -------------
    विश्व पटल पर आदिकाल से, स्थल जो सबसे न्यारा।
    विविध रंग, रूपों वाला, प्यारा भारत देश हमारा।।
    प्रकृति यहां की बहुआयामी, अद्वितीय स्थान यहां।
    धरती अनुपम परिधानों में, नृत्य दिखाती सदा जहां।।
    रवि-रश्मि,चंद्र-किरणों से, आदिशक्ति ने रूप निखारा। विश्व पटल…..
    जाति,धर्म,भाषा अपनी, भिन्न वेश-भूषा वाले।
    लोग यहां के कितने न्यारे, श्वेत, श्याम,रंगो वाले।।
    भिन्न दिखाई पड़ते हैं, भिन्न कला से रूप संवारा।। विश्व पटल….
    तरह-तरह की फसलों का, धरती मां करती उत्पादन।
    सभी आत्मनिर्भर होंगे तो, कैसे कौन रहे निर्धन?
    सोने की चिड़िया बन जाए, पुन: विश्व में जय कारा।। विश्व पटल…
    भारत में त्योहार अनेकों, मिलजुल कर सब रहते हैं।
    यदि कोई परिचय पूछे, तो भारतवासी कहते हैं।।
    वहां एक हो जाते है,जहां शत्रु ने ललकारा। विश्व पटल….
    समय-समय पर ईश्वर ने, भारत में अवतार लिया।
    न्याय,धर्म,प्रतिपालक बन, दुष्टों का संहार किया।।
    संकट में पड़ जाने पर,भारत मां का मिला सहारा।। विश्व पटल…
    शिवाकान्त शुक्ल
    रायबरेली (उत्तर प्रदेश)
    मौलिक,स्वरचित,अप्रकाशित

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  21. #हिंदी_काव्य _कोश
    नमन मंच
    साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता
    दिनांक-11/08/2023
    वार - शुक्रवार
    विषय  - देश हमारा

    पुष्पित, पल्लवित, अतुल्य साहित्य और संस्कृति
    वेद-पुराण ऋषि-मुनि सनातन धर्म अमुल्य संपति

    उदारता सहिष्णुता,विविधता मे एकता प्रण हमारा
    विश्व पटल पर दैदिप्यमान  तारा भारत देश हमारा

    वसुधैव कुटुंबकम का भाव उन्मुख हो भाईचारा
    सर्वतु सुखी भव अरू उन्नत भारत लक्ष्य हमारा

    वीर सपूतो को अर्पित करे श्रद्धा-सुमन देश हमारा
    लहराए तिरंगा सदा शान से अभिमान है ये हमारा

    तन- मन -धन अर्पण भारत पर,संकल्प है हमारा
    अखिल विश्व मे सबसे न्यारा भारत देश हमारा प्यारा

    उर्मिला पुरोहित
    उदयपुर, राजस्थान

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  22. विषय: देश हमारा

    पृथक हर धर्म, हर सभ्यता, और संस्कृति मतवाली है
    मेरे भारत मेरी भूमि की तो शान निराली है
    दिया है ज्ञान प्रकृति ने अलंकृत इसकी उपमा है
    यशस्वी हिंद है मेरा यही इसकी सुषमा है
    पोंछ अश्रु धारा मैं क्रांति का गीत गाती हूं
    अपने लफ़्ज़ों को सजाकर आज़ादी का जामा पहनाती हूं
    और जगाकर भाव शक्ति का अति सुख चैन पाती हूं
    है मिट्टी जिस वतन की सोना और शहादत है पसीने में
    जहां वंदे मातरम का नाद भरे जोश सीने में
    और छिन्न-भिन्न कर दे देशद्रोहियों को जीने में
    भगत, शिवाजी, राम, कृष्ण की भूमि है मेरा भारत
    ऐसी पाक धरा में जन्म लेने का सम्मान पाती हूं
    नफ़रत और वैर नहीं है जहां का चलन
    बस प्यार ही प्यार से होता है यहां पर मिलन
    गंगा- जमुना ,हिंदी -उर्दू गढ़े इतिहास हर पल
    और सर्वोच्च शिखर पर पहुंचे मेरा देश प्रतिपल!!!


    प्रीति कपूर
    शालीमार बाग ,दिल्ली
    स्वरचित मौलिक अप्रकाशित रचना

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  23. 🙏नमन मां शारदे 🙏
    #नमन मंच-हिन्दी काव्य कोश
    #प्रतियोगिता-पाक्षिक
    #विषय-देश हमारा
    #विधा-गीत
    #दिनांक-11/8/23

    देश हमारा स्वर्ग से बढ़कर,करतें सब गुणगान है।
    हर बाला यहां राधा-सीता, बच्चे कृष्ण श्री राम है।।

    वीरो की ये जन्मभूमि और शहींदो की सौगात है।
    हर अँधियारी रातो की यहां, सुनेहरी सी प्रभात है।
    माटी यहां की चंदन सी है, राम राज्य हर ग्राम है।।
    हर बाला यहां राधा-सीता, बच्चे कृष्ण श्री राम है।।

    देश के हित भगत,राजगुरू,सुखदेव शहीद हुऐ।
    चंद्रशेखर,बिस्मिल,शुभाष बोस,अनेको वीर हुऐ।।
    वीरो की यहां शोर्यगाथा, बच्चे बच्चे की जुबांन है।
    हर बाला यहां राधा-सीता, बच्चे कृष्ण श्री राम है।।

    कुर्बानियां वीरो की देकर,स्वतंत्रता हमने पाई है।
    शहीदो की कुर्बानी से,आजादी खिलकर छाई है।।
    वीरो की शहीदी देश हित,शौर्यता की पहचान है।
    हर बाला यहां राधा-सीता, बच्चे कृष्ण श्री राम है।।

    शिवा,प्रताप से योद्धा,पाकर धरां हमारी धन्य हुई।
    सती सावित्री,मात सिया से मातृ भूमि ये पून्य हुई।।
    "बिजूं"देवों ने जन्म लिया यहां,देवतुल्य हर गान है।
    हर बाला यहां राधा-सीता, बच्चे कृष्ण श्री राम है।।

    (स्वरचित व मौलिक रचना)
    विजय पुरोहित "बिजूं"
    रामगढ़-शेखावाटी
    जिला-सीकर (राजस्थान)

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  24. *रमेशचन्द्र बोहरा
    *जय श्री कृष्ण माधव
    *हिन्दी काव्य कोश
    #tmkosh
    साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता
    *विषय-देश हमारा
    **देश हमारा सबसे प्यारा,हमें जान से प्यारा है
    इसकी रक्षा करें सभी हम,यह कर्तव्य हमारा है।

    गीता की यह कर्म भूमि है,राम का मर्यादा अवतार
    कंस और रावण जैसों का,अहम् हुआ था तार तार
    सुनो कृष्ण फिर एक बार,द्रुपद सुता ने पुकारा है
    इसकी रक्षा करें सभी हम यह कर्तव्य हमारा है।

    यह सुभाष की जन्म भूमि,आज़ाद भगत की भारत मां
    फांसी चढ़े,शहीद हुए,हंसते बोले जय वन्दे मां
    उन शहीदों के सपनों का,ऋणी देश हमारा है
    इसकी रक्षा करें सभी हम यह कर्तव्य
    हमारा है।

    गंगा यमुना की लहरों ने,जीवन को पनपाया है
    हमने सबको गले लगाया जो भी यहां चल आया है
    मगर आज ख़तरे में लगता स्वयं धर्म हमारा है
    इसकी रक्षा करें सभी हम यह कर्तव्य हमारा है।

    जंगल में का घास की रोटी आज़ादी का शंख बजाया
    सहे अनेकों कष्ट मगर ना शत्रु आगे शीश झुकाया
    उस प्रताप के नाम पर झुकता गर्व से शीश हमारा है
    इसकी रक्षा करें सभी हम यह कर्तव्य हमारा है।

    दुर्गादास शिवा ने शत्रु को लोहे चने चबवाये थे
    मीरा तुलसी सूर कबीर ने गीत भक्ति के गाये थे
    बुद्ध और मज्ञावीर ने जग को,अहिंसा से तारा है
    इसकी रक्षा करें सभी हम यह कर्तव्य हमारा है।
    ‌*****************
    *स्व लिखित,मौलिक सृजन-
    *रमेशचन्द्र बोहरा
    *जोधपुर-३४२००५
    *राजस्थान

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  25. रिपुदमन झा 'पिनाकी'12 अगस्त 2023 को 9:27 am बजे

    देश गुलामी की जँजीरों में बरसों तक बँधा रहा।
    आतातायी के अत्याचारी पाशों से बँधा रहा।

    आजादी के मतवालों ने जब अपनी हुँकार भरी।
    देख कर इनकी बढ़ती ताकत सेना अँग्रेजों की डरी।।

    बच्चा-बच्चा महासमर में शामिल हुआ शहीद हुआ।
    आखिर सन सैंतालिस में अपना भारत आजाद हुआ।।

    रहा बदलता युग जिसमें अपना भारत भी हुआ नया।
    किया तरक्की खूब विश्व में लिक्खा इक अध्याय नया।।

    मेरा भारत सबसे प्यारा देश मेरा सबसे है महान।
    बड़ा गर्व है हमें कि हम हैं प्यारे भारत की संतान।

    रिपुदमन झा 'पिनाकी'
    धनबाद (झारखण्ड)
    स्वरचित एवं मौलिक

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  26. हिंदी काव्य कौश
    साप्ताहिक रचना
    नाम= सुरभि खीची
    जिला =जोधपुर
    विषय= देशभक्ति
    स्वरचित मौलिक रचना

    भारत के वीर जवान जिनके नाम आज भी है गुमनाम,
    देश भक्ति का ज़ज्बात दिल में हमेशा रखते थे कायम,
    परिवार की परवाह ना कर देश की आजादी के खातिर ,
    दे दी अपनी जान,
    तन मन धन को कर दिया देश के लिए समर्पित,
    ताकि देश हो जाये आजाद,
    गांधी नेहरू जी और सुभाष चन्द्र जी,जिन्होंने विश्व को अमन सिखलाया,
    स्वामी विवेकानंद जी ने जहां देश भर को,
    हिंदू सनातन धर्म का पाठ भी पढ़ाया
    वर्षों से मानव सभ्यता का ही विकास,
    हमने किया शून्य का आविष्कार,दुनिया को गणित है सिखलाया,
    सूर्य चन्द्र पृथ्वी और अन्य ग्रहों,की गणना करना बताया,
    मिलजुल कर सब प्यार से रहें,हमारी संस्कृति यह संदेश देती,
    हम उस देश के वासी,होठों पे हमेशा सच्चाई सी रहती,
    जहां दिल में सफाई है,आओ हम सब एक प्रण करे,
    देश की हम सब मिल रक्षा करे,कभी हद पार कर सरहद ना करेगे,
    बहन बेटी का हमेशा सम्मान करेगे,
    हम उस देश के वासी है जिस देश में गंगा बहती,
    धरती माँ की लाज रख हर संविधान का पालन करे,
    भारत माँ की जय का बुलंद आवाजों से हर तरफ नारा गूंजे।

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