हिन्दी कविता- कवि एक हत्यारा/अंकित श्रीवास्तव || Best Hindi Poem Kavi Ek Hatyara/Ankit Shrivastava

हिन्दी कविता कवि-एक हत्यारा

 कवि - एक हत्यारा


अपने मन के शोर

एवं पीड़ा को शब्दों द्वारा

कागज़ पर तो

बड़ी आसानी से उतार देते हैं ।


लेकिन क्या कभी सोचा है?


उस कोरे कागज़ के लिए

न जाने कितने ही

पेड़ों को हम हत्या कर देते हैं।

उन पर बसे

न जाने कितने ही पक्षियों

एवं जीव-जंतुओं के

आशियाने को तबाह कर देते हैं ।

क्या हमारी पीड़ाओं

एवं शोर के आगे उन पेड़ों, पक्षियों

एवं जीव-जंतुओं की

पीड़ा का कोई मोल नहीं ?

क्या उन पेड़ों को

काटते समय उन्हें दर्द नहीं होता ?

क्या वें पक्षियाँ

और वें जीव-जंतुएं अपने परिवार

एवं झुण्ड से नहीं बिछरते ?


जो दूसरों की पीड़ा को

ना समझ सके

और ना अनुभव कर सके

चाहो वो पीड़ा

किसी मनुष्य, जानवर, पक्षी

या किसी

पेड़-पौधों की ही क्यों न हो

ऐसे में क्या

हम एक कवि/लेखक कहलाने

योग्य हैं ?


अंकित श्रीवास्तव

जहनाबाद , बिहार




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