हिन्दी कविता- मन लुभाता सावन आया/डॉ.सुरेन्द्र दत्त सेमल्टी || Best Hindi Poem On Savan

 

मन लुभाता सावन आया


आषाढ़ माह ने  खूब तपाया ,

बिना जल धरती को सताया !


मेघ रंगीन दिखे जब नभ में ,

जगा  उत्साह   तब  सब  में ।


जगह-जगह से आकर घिर ,

वे  गरजे - चमके तब  फिर !


गीत सुनाता  सावन  आया ,

रिमझिम वर्षा संग में लाया ।


शीतल  पवन   ठंडी  फुहार ,

भाती  मन को  आई  बहार ! 


बरसते बादल  कभी जोर से ,

झम-झम-झम सभी ओरसे । 


तालाब बनती  सड़कें  सारी ,

लगता है  तब  संकट  भारी !


डूबे   घर    खेत   खलिहान ,

लगता है  कैसे बचायें  जान !


भूस्खलन टूट-फूट औ  बाढ़ ,

बहती है मिट्टी  पत्थर  झाड़ !


जब बादल हैं  दया में  आते ,

तब  हल्की  बूॅंदें हैं  बरसाते । 


झूले  डालों  पर  पड़  जाते ,

गाते - झूलते  और  झुलाते ।


बच्चे  लेकर के  हाथ पतंग ,

जाते खेलने सब संग - संग ।


इन्द्र  धनुष  रंगों  का  सात ,

दिखलाता  सावन  बरसात !


मच्छर - मेंढ़क  लाता साथ ,

जो  सोनें न  देते  सारी रात !


पौध  रोपण  करते  हैं  सब ,

पर्यावरण  सुधरता  है  तब ।


जल  के  भंडार  भर  जाते ,

खेतोंको देख खुशियाॅं पाते !


मन  लुभाता  सावन  आया ,

खजाना  खुशियों का लाया ! 


~ डॉ.सुरेन्द्र दत्त सेमल्टी
   देहरादून , उत्तराखण्ड
dr.surendraduttsemalty@gmail.com



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