प्यार देश महान/ नवीन

 

पावन है ये धरती

प्यारा है देश महान

ऋणी बहुत हम इसके

ये पुरखों की शान।


 सर चमके जिसके हिमालय

आंचल वन-सरिता का भाग

जहां श्रीचरणों में सागर लहरें

हमें क्यो न हो अभिमान।


अपने लहू से वीरों ने

सींचा इसका भाल

नित प्राणों को  उत्सर्ग किया

तब पाया आजादी का मान।


अभिनंदन हो तुम इसके

ये जीवन का आधार

रहना है इसकी बगिया में

यही सुखद भविष्य का नाम।