स्वतंत्रता का पर्व मना कर ,
तनिक नहीं रुक जाना तुम।
विश्व देखता रह जायेगा ,
वह परचम लहराना तुम।।
मां को फिर से आस लगी है,
जन -जन में चेतना जगी है।
यौवन ने हुंकार भरी है,
राष्ट्र धर्म अपनाना तुम।।
विश्व देखता रह जाएगा,
वह परचम लहराना तुम।
भिन्न संस्कृति कांप रही है,
तेरी मनसा भांप रही है।
मन ही मन तेरे पदचिन्हों,
को तत्पर हो नांप रही है।।
विश्व गुरू का सिंहासन,
नतमस्तक हो अपनाना तुम।
विश्व देखता रह जाएगा,
वह परचम लहराना तुम।
देखो तुम यह भूल न जाना,
छूट न जाए कोई दिवाना।
कितने बलिदानी गुमनामी,
याद करेगा जिन्हें जमाना।।
राष्ट्र पर्व के शुभ अवसर पर,
शुभ सम्मान दिलाना तुम।
विश्व देखता रह जाएगा ,
वह परचम लहराना तुम।।
मिले सभी को काम हांथ में
भोजन पानी दवा साथ में।
बच्चों की पढ़ाई तकनीकी ,
सरपर छत मिलजाए रात में।
स्वतंत्रता हीरक जयंति पर,
जन उत्सव मनवाना तुम।।
विश्व देखता रह जाएगा,
वह उत्सव मनवाना तुम।।
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