द्रव्य नहीं कुछ मेरे पास
फिर भी मैं करता हूँ प्यार
रूप नहीं कुछ मेरे पास
फिर भी मैं करता हूँ प्यार
सांसारिक व्यवहार न ज्ञान
फिर भी मैं करता हूँ प्यार
शक्ति न यौवन पर अभिमान
फिर भी मैं करता हूँ प्यार
कुशल कलाविद् हूँ न प्रवीण
फिर भी मैं करता हूँ प्यार
केवल भावुक दीन मलीन
फिर भी मैं करता हूँ प्यार।
मैंने कितने किए उपाय
किंतु न मुझसे छूटा प्रेम
सब विधि था जीवन असहाय
किंतु न मुझसे छूटा प्रेम
सब कुछ साधा, जप, तप, मौन,
किंतु न मुझसे छूटा प्रेम
कितना घूमा देश-विदेश
किंतु न मुझसे छूटा प्रेम
तरह-तरह के बदले वेष
किंतु न मुझसे छूटा प्रेम।
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