आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ/अहमद फ़राज़-हिन्दी काव्य कोश

रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए

फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए

कुछ तो मिरे पिंदार-ए-मोहब्बत का भरम रख

तू भी तो कभी मुझ को मनाने के लिए

पहले से मरासिम सही फिर भी कभी तो

रस्म-ओ-रह-ए-दुनिया ही निभाने के लिए

किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम

तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए

इक उम्र से हूँ लज़्ज़त-ए-गिर्या से भी महरूम

राहत-ए-जाँ मुझ को रुलाने के लिए