हिन्दी काव्य कोश~ युवा शक्ति



हम देश की युवा शक्ति हैं,
नवयुग का निर्माण करेंगे ।
अन्याय उत्पीड़न शोषण के विरुद्ध,
एकजुट हो लड़ेंगे ।।
नानक दादू कबीर  की यह धरती,
मीरा की भक्ति गूंजती कानों में है।
भगीरथ  विवेकानंद की जन्मभूमि, 
रसखान सवैया करता ओतप्रोत है ।
इनके पदचिन्हों पर चल हम सब,
भेद-भाव मिटाएंगे ।
हम देश की युवा शक्ति हैं,
नवयुग का निर्माण करेंगे ।।
भगत शिवाजी राणा की जननी, 
बुद्ध  महावीर  की तपोभूमि है।
लक्ष्मीबाई सुभाष चन्द्रशेखर की,
गौरवगाथा प्रेरित करती रहती हैं। 
मातृभूमि से अपनी हम ,
आतंकवाद मिटाकर दम लेगें । 
हम देश की युवा शक्ति हैं,
 नवयुग का निर्माण करेंगे ।। 
स्वदेश के पावन प्रगति पथ के, 
हे  युवा  शक्ति  अनुगामी बनो।।
राष्ट्र  को  सर्वस्व  समर्पित कर,
ऋद्ध स्वावलंबन का संकल्प लो। 
सशक्त समृद्ध विकसित राष्ट्र का,
 स्वप्न साकार करेंगे ।
हम देश की युवा शक्ति हैं,
 नवयुग का निर्माण करेंगे ।।
                        जय हिन्द सिंह 'हिन्द'
                        आजमगढ़, उत्तर प्रदेश
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तुम राज्य हो, तुम राष्ट्र हो, तुम युवा हो, तुम शक्ति हो
तुम जन-जन हो, तुम कण-कण हो, तुम संतरी हो, तुम मंत्री हो।

प्रगति का उपासक हो, उन्नति की एक धारा हो
आर्य धरा पर जड़ भी तुम हो और भविष्य का फल भी हो।

तुम ही संस्कृति, तुम ही सभ्यता, तुम ही अलौकिक दीप हो
भटका जो राह से, तुम भ्रष्टाचार, दुराचार और अंधकार हो।

तूने सिकंदर को लौटाया, गजनी को कई बार हराया
गौरी तुझसे ही मात खाया, गोरे जिससे डरे, तुम वो बोस हो।

तुम दशमलव, तुम शून्य, तुम टैगोर, तुम रमन, तुम ही विवेकानंद हो
तुम शिवा जी महाराज, तुम राणा प्रताप, तुम ही सुखदेव, राजगुरू, भगत हो।

तुम कलाम का मिसाईल हो, तुम दिनकर का हुंकार हो
तुम अटल सत्य हो पोखरण का, तुम कारगिल विजय हो।

देश भक्ति के भाव लिए जब, अपनी मुट्ठी एक करते हो
दुश्मन की सांसे जकड़ती, उसके लिए तुम महाकाल हो।

युवा निर्णायक राष्ट्र क्रांति के, मिलकर तिरंगे की शान गढ़े
युवा शक्ति है राष्ट्र गौरव के, दृढ़ संकल्पित स्वाभिमान रचें।

धरती से अंबर तक लाली, युवाशक्ति हो शक्तिशाली
खंड-खंड नहीं कर सकता कोई, तुम अखंड भारत हो।

तुम राज्य हो, तुम राष्ट्र हो, तुम युवा हो, तुम शक्ति हो
तुम जन-जन हो, तुम कण-कण हो, तुम संतरी हो, तुम मंत्री हो।

 – विक्रमादित्य सिंह
    भुवनेश्वर, ओडीसा
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जागो मेरे वीर सपूतो!
धरती माँ की यही पुकार। (1)
मानवता खतरे में पड़ी है,
उठो देश के कर्णधार।(2)
छोड़ असंभव शब्द को,
पुरुषार्थी बनो धीर-गम्भीर।(3)
नए युग का सृजन तुम्हीं से,
हर लो मानवता की पीर।(4)
संकीर्ण नहीं,विराट भाव हो सभ्यता-संस्कृति के तुम निर्माता(5)
न हो भाग्यवादी न भोगवादी,
बनो पुरुषार्थी निज भाग्यविधाता।(6)
धरा अग्नि सम धैर्य,तेज हो,
तुममें हो जल-सी शीतलता।(7)
वायु सा तीव्र विचार वेग,
आकाश सम हृदय की विशालता।(8)
अंतस की परम दिव्यता में,
जगाओ विश्व बन्धुत्व विचार।(9)
मुखमण्डल तेजस्वी हो,
वाणी में हो ओज,उत्साह अपार(10)
हे युवा शक्ति पहचानों  स्व को,
तुम मात्र नहीं कोई व्यक्ति।(11)
तुम विराट प्रतिरूप प्रतिनिधि,
सम्पूर्ण राष्ट्र की अभिव्यक्ति।(12)
छोड़ो भौतिकता की बाँहें,
हो स्वावलंबी चरित्र निर्माण।(13)
पतन की ओर उन्मुख सृष्टि का,
कर दो आज नया उत्थान।(14)
मिल युवा शक्ति आगे आओ,
तुममें अद्भुत सामर्थ्य भरा।(15)
तुम निर्णायक युवा क्रांति के,
अंतर में दृढ़संकल्प जगा।(16)
अद्वैत निद्रा की तंद्रा छोड़,
युवा क्रांति का करो जनघोष।(17)
है युवाशक्ति ही राष्ट्रशक्ति ,
अब राष्ट्रवाद का करो जयघोष।(18)

      ~नमिता नाएक
        बरगढ़ ,उड़ीसा
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स्फूर्ति से परिपूरित, प्रण-प्राण से करे राष्ट्र का उद्धार
 नवनिर्माण,नवसृजन की हो असीम प्रवृत्ति।
ऐसी हो युवा शक्ति ।
आज समस्त साधन और सम्भावना है अपार 
सही दिशा में हो अग्रसर ,
ले अटूट संकल्पशक्ति ।
ऐसी हो युवा शक्ति॥
निज क्षमता और रुचियों का
 सटीक भान कर
 चाहे जिस क्षेत्र में बढ़े ,
कर ले निज लक्ष्यों की प्राप्ति।
ऐसी हो युवा शक्ति।।
देश का उत्थान करे सकारात्मक  बदलाव कर
अनीति से लड़ कर, 
दे सामाजिक  विकारों से मुक्ति।
ऐसी हो युवा शक्ति ॥
स्वयं के सामर्थ्य से सफलता का सोपान चढ़
 दीमक की तरह  फैले भ्रष्टाचार पर करे आपत्ति ।
ऐसी हो युवा शक्ति॥
प्रसन्नता पाने  का उचित ज्ञान प्राप्त कर
कर ले सदैव बुरे विचारों और व्यसनों से विरक्ति ।
ऐसी हो युवा शक्ति॥
सीमा पे हो डटा या सामाजिक दायित्वों से जुड़ा 
कर्मठता से दूर कर दे देश पर पड़ने वाली हर विपत्ति। 
ऐसी हो युवा शक्ति॥
न करे विवाद जाति,धर्म और सम्प्रदाय पर
ये ठान ले और मान  ले सबसे बड़ा धर्म है देशभक्ति ।
ऐसी हो युवा शक्ति॥

- शिप्रा सैनी(मौर्या)
जमशेदपुर(पूर्वी सिंघभूम)
      झारखंड
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क्षीण हो रहा है देश मेरा , 
दुश्मनों के आघातों से।
रोता है  मन देख दुर्दशा , 
देश में  छिपे  गद्दारों से॥
भारत की अमूल्य-धरोहर का, 
मैं ज्ञान कराने आई  हूँ ।
हे ! भारत की युवा-शक्ति जागो ,
मैं तुम्हें जगाने आई हूँ ॥

उठो! जागो! हे ! वीर पुत्रों , 
अंतश्चेतना का आह्वान करो ।
सूर्य- सा छाकर देश में तुम,
नव-क्रांति का संचार करो ॥
निज गौरव को धारण कर,
 देश का चरम-विकास करो।
देश को विकसित करने में,
शत-प्रतिशत अवदान करो॥

गाँधी के स्वप्निल भारत की , 
मैं याद दिलाने आई  हूँ।
उठो! जागो! हे ! वीर पुत्रों , 
मैं तुम्हें जगाने आई हूँ॥

दुश्मनों को दिखला दो दम-खम,
शिवा-प्रताप- सा जोश भरो।
कर्म-अश्व-चेतक लेकर तुम ,
महाराणा-सा इतिहास रचो॥

वीरों  की  प्राचीन वीरगाथाएँ , 
मैं तुम्हें  सुनाने आई हूँ। 
हे ! भारत की युवा-शक्ति जागो,
 मैं तुम्हें जगाने आई हूँ ॥

राम- कृष्ण की तपोभूमि ,
जिसने न्याय का पाठ पढ़ाया था ।
दधीचि की पूण्यभूमि यह , 
परोपकार हेतु प्राण गवाँया था॥

आर्यभट्ट की कर्मभूमि यह , 
विश्व को शुन्य दिलाया था। 
नरेंद्र की दिव्य भूमि यह, 
शिकागाे में परचम लहराया था॥
युवा-शक्ति को नतमस्तक हाे,
 नमन मैं करने आई  हूँ ।
हे ! भारत की युवा-शक्ति जागो, 
मैं तुम्हें जगाने आई हूँ ॥

  ~ कमला सिंह
 खोरीबाड़ी ,दार्जिलिंग
    पश्चिम-बंगाल