हिन्दी काव्य कोश ~ माँ शारदे वन्दना



करूँ आज मैं बंदना, उर से कर को जोर। 
पुष्प गुच्छ अर्पित करूँ, मात शारदे भोर।

याचक की माँ याचना, कर लो तुम स्वीकार।
शीश झुके माँ चरण में,  दो मुझको अधिकार।

स्तुति तेरी माँ शारदे, जग करता जय बोल।
बुद्धिहीन मैं अज्ञानी, ज्ञान चक्षु दो खोल।।

ज्ञानपुंज वीणा वादिन, तुमसे चलती सृष्टि।
भक्ति ज्ञान आशीष दो, बनी रहे समदृष्टि।

दुख को हर माँ शारदे, दूर करो सब कष्ट।
ज्ञानदीप प्रज्वलित कर, तम को कर दो नष्ट।

अंतर्मन के भाव में, हो मधुरिम उद्गार।
स्वरवाणी मधुबोल हो,  पुष्पित हो संसार।।

जीवन के आयाम में, माँ तेरा हो वास।
उर में उज्ज्वल वेग हो, मन तृष्णा का नाश।।

धवल वस्त्र धारण किये, कर में वीणा साज।
कमलासन पर बैठती, सिर पर शोभित ताज।।

ज्ञानोदय समसृष्टि हो, फैले जगत प्रकाश।
तमस मिटे अज्ञान का, धरा भूमि आकाश।।

सेवक बन सेवा करूँ, दे दो माँ वरदान।
ज्ञानशील बन जग रहूं, मैं बालक नादान।।

~डॉ. वी. सी. यादव
      आज़मगढ़

माँ वाणी, अभिनंदन तेरा,
करती हिय से वंदन तेरा।
दिव्य रूप आँखों मे भर लूं,
तन हो जाये चंदन मेरा।।
माँ वाणी, अभिनंदन तेरा।।

जीवन अपना, अनुशासित हो
परिलक्षित हो, परिभाषित हो
इस पर न हो, तम का डेरा ।
माँ वाणी, अभिनंदन तेरा ।।

हम पर माँ, उपकार करो तुम
द्वेष मिटा दो, प्रीति भरो तुम 
बाल सुलभ सा, हो मन मेरा ।
माँ वाणी, अभिनंदन तेरा ।।

पाप, प्रपंच से,  दूर रहूँ मैं 
निर्मलता हो, सरल बहूं मैं
हो इतना, जीवन धन मेरा ।
माँ वाणी, अभिनंदन तेरा ।।

सत्य शाश्वत, सदा रहेगा
आने वाला, समय कहेगा
सत्य-कर्म हो, जीवन मेरा ।
माँ वाणी, अभिनंदन तेरा  ।।

~ उमा विश्वकर्मा
    कानपुर, उ.प्र.

माँ शारदे ! तुझको नमन !!
तू ज्ञान का भंडार है,
अनुपम ,अमित उपहार है !
लय ,ताल,शब्द सरिता बहे ,
माँ !तेरा यही श्रृंगार है !!

करपाणि वीणा वादिनी ,
उर आच्छादित रागिनी !
ज्ञान की ज्योति जला कर,
कंठ विराजे हंस वाहिनी!!

मन की कलुषता दूर कर ,
तमो शोषिता अज्ञान हर !
 उद्भभव हृदय प्रकाश पुंज ,
   शरणागत हूं तेरे दर !

धरो भाव मधुमय प्रखर ,
वरद हस्त सृजन निखर !
उर लेखनी पर विराजे ,
पा सकूं उच्च, अमित शिखर !!
करबद्ध है आत्म निवेदन !!

  ~नमिता गुप्ता
  लखनऊ , उ.प्र.


मांँ शारदे  तुमको  नमन !
हंँसवाहिनी तुमको  नमन !
मां सरस्वती तुमको नमन !
वीणावादिनी तुमको नमन !

ना ज्ञान है सुरताल का ,
ना गीत का संगीत का ।
बस ज्ञान है स्वकर्म का ,
स्वधर्म का पुरुषार्थ का ।
सत्कर्मो में ही रत रहूं.....
आशीष हो बस आपका !

मां भारती तुमको नमन !
वागीश्वरी तुमको नमन !
बुद्धिदात्री तुमको नमन  !
ब्रह्मचारिणी तुमको नमन !

तुम ज्ञान की भंडार माँ,
सब दूर कर अज्ञान मांँ ।
तेरे ही स्वर से सुर मिले,
भरो लेखनी में ताप माँ ।
ना काल से भी डर सकूं...
अभयदान हो बस आपका !

मांँ जगती तुमको नमन !
चंद्रकांति तुमको नमन !
भुवनेश्वरी तुमको नमन !
वरदायिनी तुमको नमन !

करती मैं अर्पण मान का ,
निजदंभ का अभिमान का ,
दर्शन दो मांँ दिव्य रूप का ,
और ज्ञान दो सुर ताल का ।
मैं गांन तेरा गा सकूं......
वरदान हो बस आपका !

मांँ  शारदे  तुमको  नमन !
मांँ सरस्वती तुमको नमन !
हंसवाहिनी  तुमको नमन !
वीणावादिनी तुमको नमन !

~ किरण संजीव सिंह
      गोंडा उ.प्र.


हे शारदे माँ!, हे शारदे माँ!!
हम अज्ञानी, हमे ज्ञान दे माँ!!
हे शारदे माँ!, हे शारदे माँ!!

एक हस्त वीणा एक में है पुस्तक,
कमल पे आसीन मुकुट हो मस्तक,
स्वरूप का निज सत्य संज्ञान दे माँ!!
हे शारदे माँ!, हे शारदे माँ!!

तुम्हीं से है अक्षर तुम्हीं से है सरगम,
जले ज्ञान दीपक कभी छाए ना तम,
विद्या का अपनी, हमें दान दे माँ!!
हे शारदे माँ!, हे शारदे माँ!!

लिखती रहे कलम मेरी अविरल,
बने सुदृढ़ और सहज व सरल,
कृपा कर, कभी अभिमान हो ना!!
हे शारदे माँ!, हे शारदे माँ!!

हे शारदे माँ!, हे शारदे माँ!!
हम अज्ञानी, हमे ज्ञान दे माँ!!
हे शारदे माँ!, हे शारदे माँ!!
~ सोनल ओमर
   कानपुर, उ.प्र.