प्रकृति शक्ति रौद्र रूपा!
हृदय में उफान भरा ले हिलोर समन्दर नभ से टकराया,
प्रबल भुजा दसों दिशा कम्पित धरा ने रौद्र रुप बनाया।
गर्जित मेघ समीर सब शस्त्र उठाये तू देख रहा है मौन ।,
तांडव करती निर्वस्त्र धरा अब भला ताक रहा है कौन।
शक्ति स्वरुपा श्यामल सौम्या समस्त उत्पत्ति का आधार,
रक्त रंजित भाल कर दिया हृदय विदीर्ण शक्ति का संहार।
हुआ काल आज विकराल पहचान गया है सबकी चाल-
तू ठगा रह खड़ा देख अब बदल रहा है जीवों का संसार।
वसुधा की कोख में पलता वो प्रलय नवजात शिशु हँसता है,
हुंकार भरता प्रभंजन करता वही नव निर्माण पथ गढता है
भयाँकित रुप प्रसूति काल होता शांत जन्म के बाद ही
अब शक्ति स्वरूपा रौद्र हूई गर्भ गुहा में नव सृजन बोता है
- बीना फुलेरा
हल्द्वानी
नैनीताल
प्रबल भुजा दसों दिशा कम्पित धरा ने रौद्र रुप बनाया।
गर्जित मेघ समीर सब शस्त्र उठाये तू देख रहा है मौन ।,
तांडव करती निर्वस्त्र धरा अब भला ताक रहा है कौन।
शक्ति स्वरुपा श्यामल सौम्या समस्त उत्पत्ति का आधार,
रक्त रंजित भाल कर दिया हृदय विदीर्ण शक्ति का संहार।
हुआ काल आज विकराल पहचान गया है सबकी चाल-
तू ठगा रह खड़ा देख अब बदल रहा है जीवों का संसार।
वसुधा की कोख में पलता वो प्रलय नवजात शिशु हँसता है,
हुंकार भरता प्रभंजन करता वही नव निर्माण पथ गढता है
भयाँकित रुप प्रसूति काल होता शांत जन्म के बाद ही
अब शक्ति स्वरूपा रौद्र हूई गर्भ गुहा में नव सृजन बोता है
- बीना फुलेरा
हल्द्वानी
नैनीताल
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