Hindi poem on independence day 15 august poem in hindi देश हमारा- रमेशचन्द्र बोहरा
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देश हमारा सबसे प्यारा,हमें जान से प्यारा है
इसकी रक्षा करें सभी हम,यह कर्तव्य हमारा है। गीता की यह कर्म भूमि है,राम का मर्यादा अवतार कंस और रावण जैसों का,अहम् हुआ था तार तार सुनो कृष्ण फिर एक बार,द्रुपद सुता ने पुकारा है इसकी रक्षा करें सभी हम यह कर्तव्य हमारा है। यह सुभाष की जन्म भूमि,आज़ाद भगत की भारत मां फांसी चढ़े,शहीद हुए,हंसते बोले जय वन्दे मां उन शहीदों के सपनों का,ऋणी देश हमारा है इसकी रक्षा करें सभी हम यह कर्तव्य हमारा है। गंगा यमुना की लहरों ने,जीवन को पनपाया है हमने सबको गले लगाया जो भी यहां चल आया है मगर आज ख़तरे में लगता स्वयं धर्म हमारा है इसकी रक्षा करें सभी हम यह कर्तव्य हमारा है। जंगल में का घास की रोटी आज़ादी का शंख बजाया सहे अनेकों कष्ट मगर ना शत्रु आगे शीश झुकाया उस प्रताप के नाम पर झुकता गर्व से शीश हमारा है इसकी रक्षा करें सभी हम यह कर्तव्य हमारा है। दुर्गादास शिवा ने शत्रु को लोहे चने चबवाये थे मीरा तुलसी सूर कबीर ने गीत भक्ति के गाये थे बुद्ध और मज्ञावीर ने जग को,अहिंसा से तारा है इसकी रक्षा करें सभी हम यह कर्तव्य हमारा है। ~ रमेशचन्द्र बोहरा जोधपुर, राजस्थान देश हमारा- विजय पुरोहित ''बिजूं'' |
देश हमारा स्वर्ग से बढ़कर,करतें सब गुणगान है।
हर बाला यहां राधा-सीता, बच्चे कृष्ण श्री राम है।। वीरो की ये जन्मभूमि और शहींदो की सौगात है। हर अँधियारी रातो की यहां, सुनेहरी सी प्रभात है। माटी यहां की चंदन सी है, राम राज्य हर ग्राम है।। हर बाला यहां राधा-सीता, बच्चे कृष्ण श्री राम है।। देश के हित भगत,राजगुरू,सुखदेव शहीद हुऐ। चंद्रशेखर,बिस्मिल,शुभाष बोस,अनेको वीर हुऐ।। वीरो की यहां शोर्यगाथा, बच्चे बच्चे की जुबांन है। हर बाला यहां राधा-सीता, बच्चे कृष्ण श्री राम है।। कुर्बानियां वीरो की देकर,स्वतंत्रता हमने पाई है। शहीदो की कुर्बानी से,आजादी खिलकर छाई है।। वीरो की शहीदी देश हित,शौर्यता की पहचान है। हर बाला यहां राधा-सीता, बच्चे कृष्ण श्री राम है।। शिवा,प्रताप से योद्धा,पाकर धरां हमारी धन्य हुई। सती सावित्री,मात सिया से मातृ भूमि ये पून्य हुई।। "बिजूं"देवों ने जन्म लिया यहां,देवतुल्य हर गान है। हर बाला यहां राधा-सीता, बच्चे कृष्ण श्री राम है।। ~ विजय पुरोहित "बिजूं" सीकर, राजस्थान देश हमारा- निशान्त कुमार सक्सेना ऐ धन्य धरा, ऐ पुण्य भूमि, ऐ सेवक, संत, वीर जननी। ओ दया, क्षमा, बंधुत्व, विश्व में शांति, प्रेम, मंगल करणी।। तू राम, कृष्ण, नानक, कबीर, महावीर, बुद्ध का अमर धाम। आरुणि, शिष्यवर एकलव्य, प्रहलाद, भक्त ध्रुव शीर्ष नाम।। तू राणा, शिवा, मौर्य, पृथ्वी, अभिमन्यु वीरों की माई। ईरानी, बांग्ला, अफ़गानों ने शरणागति तेरी पाई।। कभी किसी पर प्रथम आक्रमण तूने नहीं किया कोई। शत्रु भी बन आया अतिथि देवतुल्य समझा सोई।। शौर्य, वीरता, तेज, त्याग, बलिदानों की है रीति जहाँ। वीर भगत, शेखर, सुभाष सी मातृभूमि की प्रीति यहाँ।। मात-पिता, गुरु, संतों का आदर भी ईश्वर सम करती। अगणित भाषाओं, संस्कृतियों का है तू पोषण करती।। योग, कर्म, आध्यात्म, ज्ञान का सदा जगत को देती दान। 'सर्वे भवंतु सुखिनः' तेरा अखिल जगत को है वरदान।। ~ निशान्त कुमार सक्सेना शाहजहांपुर, उत्तर प्रदेश देश हमारा- शिवाकान्त शुक्ल विश्व पटल पर आदिकाल से, स्थल जो सबसे न्यारा। विविध रंग, रूपों वाला, प्यारा भारत देश हमारा।। प्रकृति यहां की बहुआयामी, अद्वितीय स्थान यहां। धरती अनुपम परिधानों में, नृत्य दिखाती सदा जहां।। रवि-रश्मि,चंद्र-किरणों से, आदिशक्ति ने रूप निखारा। विश्व पटल पर आदिकाल से, स्थल जो सबसे न्यारा। जाति,धर्म,भाषा अपनी, भिन्न वेश-भूषा वाले। लोग यहां के कितने न्यारे, श्वेत, श्याम,रंगो वाले।। भिन्न दिखाई पड़ते हैं, भिन्न कला से रूप संवारा।। विश्व पटल पर आदिकाल से, स्थल जो सबसे न्यारा। तरह-तरह की फसलों का, धरती मां करती उत्पादन। सभी आत्मनिर्भर होंगे तो, कैसे कौन रहे निर्धन? सोने की चिड़िया बन जाए, पुन: विश्व में जय कारा।। विश्व पटल पर आदिकाल से, स्थल जो सबसे न्यारा। भारत में त्योहार अनेकों, मिलजुल कर सब रहते हैं। यदि कोई परिचय पूछे, तो भारतवासी कहते हैं।। वहां एक हो जाते है,जहां शत्रु ने ललकारा। विश्व पटल पर आदिकाल से, स्थल जो सबसे न्यारा। समय-समय पर ईश्वर ने, भारत में अवतार लिया। न्याय,धर्म,प्रतिपालक बन, दुष्टों का संहार किया।। संकट में पड़ जाने पर,भारत मां का मिला सहारा।। विश्व पटल पर आदिकाल से, स्थल जो सबसे न्यारा। ~ शिवाकान्त शुक्ल रायबरेली, उत्तर प्रदेश देश हमारा- सरकार अमन
ऐसा भारत देश हमारा, प्यारा भारत देश हमारा। नदियां जिसकी पायल बनकर, कल कल करती झंकार फिरे। जहां सुंदर खेतो की हरियाली से, अपना अदभुत सुंदर सिंगार करे। सूरज की लाली भोर सांझ, जिसका नित नया आगाज करे। ऊंचे ऊंचे सुंदर पर्वत, जिसकी भुजा विशाल बने। एक वर्ष के मध्य में बार बार, मौसम का रूप बदलता है। सर्दी ,गर्मी के साथ साथ, मन को बसंत बहलाता है। बचपन बिताने को राम,कृष्ण, जिस धरा पे आ डाला डेरा। सम्पूर्ण सृष्टि में स्वर्ग से सुंदर, ऐसा भारत देश हमारा। प्यारा भारत देश हमारा। ~ सरकार अमन सतना, म. प्र. पढ़ें प्रसिद्ध रचनायें :)
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