मैं एक कलाकार हूँ/विकास पाण्डेय 'विकाश'

 

मैं एक कलाकार हूँ ,शब्दो से चित्र बनाता हूँ,

कल्पना की शक्ति से,मैं बहुत कुछ कह जाता हूं।

मैं एक रचनाकार हूँ, शब्दों से चित्र बनाता हूँ।।


सुख भी मैं लिखता हूँ, दुःख भी मैं लिखता हूं।

शांति भी मैं लिखता हूँ, क्रांति भी मैं लिखता हूं।

मैं एक कलाकार हूँ,शब्दों से चित्र बनाता हूँ।।


कलम मेरा हथियार है,शब्द मेरे उदगार है।

थोड़े से ही शब्दों में मैं,बहुत कुछ कह जाता हूं,

मैं एक कलाकार हूँ ,शब्दो से चित्र बनाता हूँ।।


प्रकति की सुंदरता, श्रृंगार भी मैं लिखता हूं,

सम्पूर्ण जगत का सारा,इतिहास भी मैं लिखता हूँ।

मैं एक कलाकार हूँ,शब्दों से चित्र बनाता हूँ।।


मैं धरती भी लिखता हूँ,मैं अम्बर भी लिखता हूँ,

मैं भविष्य दर्शाता हूँ,मैं यथार्थ भी लिखता हूं।

मैं एक कलाकार हूँ,शब्दों से चित्र बनाता हूँ ।।


मैं समाजवाद पे लिखता हूँ, मैं भ्रष्टाचार पे लिखता हूं।

राजनीति और चाटूकारिता,मैं आतंकवाद पे लिखता हूं।

मैं एक कलाकार हूँ,शब्दों से चित्र बनाता हूँ।।


मेरा विषय क्षेत्र व्यापक है,इसकी सीमा भी अनंत है।

सम्पूर्ण ब्रह्मांड ही मेरी प्रेरणा ,न इसका आदि है न अंत है।

मैं एक कलाकार हूँ,शब्दों से चित्र बनाता हूँ।।


मान अपमान की चिंता में,मैं समय व्यर्थ नही करता हूं।

जो मुझकों चिंतित करता है,मैं हर उस बात पे लिखता हूं।

मैं एक कलाकार हूँ ,शब्दों से चित्र बनाता हूँ ।।