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अग्निपथ ~हरिवंश राय बच्चन | Agnipath Poem By Harivansh Rai Bachchan
अग्निपथ ~हरिवंश राय बच्चन | Agnipath Poem By Harivansh Rai Bachchan
Agnipath poem by Haribansh Rai Bachchan
वृक्ष हों भले खड़े,
हों घने हों बड़े,
एक पत्र छाँह भी,
माँग मत, माँग मत, माँग मत,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।
तू न थकेगा कभी,
तू न रुकेगा कभी,
तू न मुड़ेगा कभी,
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।
यह महान दृश्य है,
चल रहा मनुष्य है,
अश्रु स्वेद रक्त से,
लथपथ लथपथ लथपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।
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हिन्दी काव्य कोश मासिक ई-पत्रिका के मोबाईल APP पर साप्ताहिक प्रतियोगिता का पुनः आयोजन शुरू कर दिया गया है| जिसमें प्रत्येक सोमवार को रचनाकारों को एक विषय दिया जाता है जिसपर सभी रचनाकारों को शुक्रवार रात्रि 10 बजे तक रचना पूर्ण करके नियमानुसार पोस्ट करनी होती हैं| प्रत्येक रविवार को हिन्दी काव्य कोश के निर्णायक समिति द्वारा चुनी गई 5 उत्कृष्ट रचनाओं के रचनाकार को एक प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है साथ ही साथ उस रचना को वेबसाइट पर भी स्थान दिया जाता है| किसी भी शिकायत या सुझाव के लिए आप सभी हमारे मेल- tmkavykosh@gmail.com या हमारे Whatsapp +91 6392263716 पर भेज सकते हैं| धन्यवाद! हिन्दी काव्य कोश देश भर में उत्कृष्ट रचनाओं को पाठकों तक पहुँचाने तथा उन्हें उचित स्थान दिलाने के लिए अनवरत कार्यरत है | आधुनिकता की इस भीड़ में उत्कृष्ट रचनाएँ कहीं रचनाकारों की मेज पर ही न धरी रह जाएँ बल्कि वो पाठकों तक पहुँचकर उनका हृदय जीत सकें, इस उद्देश्य से समिति कोश कार्य कर रही है|
श्रेणी
कविता
ग़ज़ल व शेर
प्रतियोगिता विषय
प्रेरक कविता
साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता
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